कांग्रेस में ''वन फैमिली वन टिकट''! क्या MP में 2023 में दिखेगा इस फैसले का असर?
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कांग्रेस में ''वन फैमिली वन टिकट''! क्या MP में 2023 में दिखेगा इस फैसले का असर?

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हैं, जिनके परिवार के लोग भी राजनीति में सक्रिए हैं. ऐसे में सवाल यह कि एक तरफ पार्टी परिवारवाद खत्म करने की राह पर है, तो दूसरी तरफ एमपी में कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद गहरा है, ऐसे में कांग्रेस का फैसला एमपी में कैसे लागू हो पाएगा, यह बड़ा सवाल है.

कांग्रेस में  ''वन फैमिली वन टिकट''! क्या MP में 2023 में दिखेगा इस फैसले का असर?

भोपाल। राजस्थान के उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में कई बदलाव किए गए हैं. सबसे बड़ा बदलाव परिवारवाद को लेकर हुआ है, अब कांग्रेस में भी यह तय किया गया है कि एक परिवार के एक ही सदस्य को चुनाव में टिकट दिया जाएगा. देश की सबसे पुरानी पार्टी में इतने बड़े बदलाव का असर देश की सियासत में देखने को जरूर मिलेगा. कांग्रेस पार्टी में लागू हुए इस फैसले का असर मध्य प्रदेश में भी देखने को मिल सकता है. 

दरअसल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हैं, जिनके परिवार के लोग भी राजनीति में सक्रिए हैं. ऐसे में सवाल यह कि एक तरफ पार्टी परिवारवाद खत्म करने की राह पर है, तो दूसरी तरफ एमपी में कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद गहरा है, ऐसे में कांग्रेस का फैसला एमपी में कैसे लागू हो पाएगा, यह बड़ा सवाल है. जिससे यह प्रश्न उठने लगा है कि क्या युवाओं के खातिर दिग्गज अपने आप को बाहर करेंगे या नहीं. 

इन नेताओं का परिवार राजनीति में सक्रिए 
कांग्रेस की चिंतन बैठक में ''वन फैमिली वन टिकट'' का फैसला बताता है कि कांग्रेस अब भाजपा से सीख लेकर परिवारवाद से ऊपर उठने की तैयारी में है, लेकिन इस फैसले ने एमपी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि परिवारवाद के मकड़ जाल में उलझे कांग्रेस नेताओं और उनके परिवार के लोगों पर आगामी चुनाव लड़ने पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस में कई नेताओं के परिवार राजनीति में सक्रिए हैं, जिनकी तीसरी पीढ़ी तक राजनीति में हैं. 

  • पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ विधायक हैं और उनके बेटे नकुलनाथ सांसद हैं.  
  • पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह राज्य सभा सांसद है, तो उनके बेटे जयवर्धन और भाई लक्ष्मण सिंह विधायक हैं. 
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया विधायक हैं उनके बेटे विक्रांत विधायक का चुनाव 2018 में हार चुके है, फिलहाल यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं. 
  • पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव 2018 में विधानसभा चुनाव लड़े हार गए थे, उनके भाई सचिन विधायक हैं. 

कांग्रेस का तर्क 
इसके अलावा भी एमपी कांग्रेस के कई नेताओं के परिवार राजनीति में सक्रिए हैं, जो आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी करने के लिए तैयार है. ऐसे में प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या युवाओं के खातिर दिग्गज नेता अपने आप को टिकट की रेस से बाहर करेंगे. हालांकि नेताओं को कांग्रेस का अलग ही तर्क सामने आया है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा का कहना है कि एमपी में नेताओं के पुत्र और भाई जो विधायक बने हैं वह परिवारवाद की श्रेणी में नहीं आते. क्योंकि कांग्रेस में यह तय किया गया है कि पहले पांच साल पार्टी के लिए काम करने पड़ेगा उसके बाद ही टिकट के लिए दावेदारी की जा सकती है. ऐसे में प्रदेश में जो नेता सक्रिए हैं वह पिछले पांच साल से भी ज्यादा समय से पार्टी में सक्रिए हैं, इसलिए वह परिवारवाद की श्रेणी में नहीं आते हैं. 

बीजेपी ने साधा निशाना 
वहीं कांग्रेस के इस फैसले पर बीजेपी ने निशाना साधा है, शिवराज सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि ''चिंतन बैठक में गांधी परिवार के महिमामंडन की प्लानिंग की गई है , कमलनाथ दिग्विजय सिंह बताएं कि जो चिंतन बैठक में तय किया गया है वन फैमिली वन टिकट उसको मानेंगे या नहीं ?. कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को इसका जवाब देना चाहिए''

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