अनूपपुर जिले में इस बार गोबर से बने गजानन की पूजा होगी. जिले के जैतहरी जनपद अंतर्गत ग्राम अजनी में गोबर की गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. इन ईको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की डिमांड भी इस बार कुछ ज्यादा है.
Trending Photos
अभय पाठक/अनूपपुर: अनूपपुर जिले में इस बार गोबर से बने गजानन की पूजा होगी. जिले के जैतहरी जनपद अंतर्गत ग्राम अजनी में गोबर की गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. इन ईको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की डिमांड भी इस बार कुछ ज्यादा है. अंजनी गांव प्रज्ञा मंडल और स्व सहायता समूह की महिलाएं गोबर, तुलसी, गंगाजल, एवं पवित्र वस्तुओं को मिलाकर गणेश प्रतिमाएं बनाई हैं.
जैतहरी तहसील के गांव अंजनी में प्रज्ञा मंडल गौशाला संस्था की पहल पर यहां की गंगा अजीविका स्व सहायता समूह ने इस वर्ष गोबर की मूर्तियां बनाई बनाई हैं. गोबर से बनी इन मूर्तियों की अच्छी मांग भी है. प्रज्ञा मंडल के संचालक भारत राठौर ने बताया कि संस्था गायत्री परिवार से जुड़ी है और गौशाला का संचालन करती है. गाय के गोबर से मूर्तियां बनाने का नवाचार शुरू किया गया. गंगा अजीविका स्व सहायता समूह की पांच महिला सदस्यों ने राखियां भी बनाईं थीं. गणपति पूजन को देखते हुए गोबर से विभिन्न डिजाइन में मूर्तियां तैयार की गई हैं. मूर्तियों के निर्माण में गोबर, तुलसी, गंगाजल, मौली धागा और हल्के रंगों का इस्तेमाल किया गया है, ताकि यह दिखने में भी सुंदर लगें. मूर्ति निर्माण के दौरान गायत्री मंत्र से इन्हें अभिव्यक्त भी किया गया है.
स्व सहायता समूह के 2 सदस्य श्रीमती इंद्रावती राठौर और कुमारी शालिनी राठौर ने नागपुर गायत्री परिवार से गोबर से बनी वस्तुओं को बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है. अब यह महिलाएं स्थानीय स्तर पर मूर्तियां का निर्माण कर रही हैं. संस्था का पहला वर्ष और पहला प्रयास है. करीब 400 सौ मूर्तियां बनाई गई हैं. गोबर से बनी मूर्तियों की बात करें तो बाजार में उपलब्ध अन्य मूर्तियों की तुलना में इनके दाम भी कम हैं.
यहां काम करने वाले लोगों का कहना है कि इससे उनकी आमदनी भी बढ़ गयी है. वो 4 से 5 हजार रु महीने अभी इससे कमा ले रही हैं. पीओपी मूर्तियों के बंद होने के बाद ईको फ्रेंडली मूर्तियां बाजार की रौनक बनी हुई हैं. इससे मूर्ति बनाने वाले मजदूरों को रोजगार मिल रहा है और वे आत्मनिर्भर हो रहे हैं.
अनूपपुर सहित शहडोल जिले में यह मूर्तियां बाजार में उपलब्ध हैं. छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों में भी गोबर से बनी मूर्तियां भेजी गई हैं. बाहर के राज्यों से भी इन मूर्तियों और गोबर से बनी अन्य चीजों की मांग है.
इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को है और मूर्ति स्थापना 10 सितंबर को दोपहर 12.17 मिनट से लेकर रात 10 बजे तक की जा सकती है. शुभ मुहूर्त पर गणपति जी के बिराजने से घर में खुशहाली आती है और हर मनोकामना पूरी होती है.
WATCH LIVE TV