तेल ने बिगाड़ा घर का बजट! जानिए Edible Oil क्यों हो रहा है इतना महंगा?
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तेल ने बिगाड़ा घर का बजट! जानिए Edible Oil क्यों हो रहा है इतना महंगा?

इंडोनेशिया के घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमत काफी ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में वहां की सरकार ने घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए खाद्य तेल के निर्यात पर रोक लगा दी है.

तेल ने बिगाड़ा घर का बजट! जानिए Edible Oil क्यों हो रहा है इतना महंगा?

भोपालः बेतहाशा बढ़ रही महंगाई ने आम जनता का बजट बिगाड़ दिया है. मध्य प्रदेश की बात करें तो बीते एक सप्ताह में खाने के तेल के दामों में 12 रुपए प्रति लीटर तक की वृद्धि हो चुकी है. फिलहाल रिटेल में खाने का तेल 175 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है, वहीं थोक में इसके दाम 166 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं. दरअसल तेल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रही उथल-पुथल को बताया जा रहा है. आइए जानते हैं कि तेल के दामों में तेजी की वजह क्या है?

इंडोनेशिया ने बंद किया निर्यात
दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश इंडोनेशिया है. भारत भी अपनी जरूरत का 30 फीसदी करीब 90 लाख टन तेल सालाना आयात करता है. इसमें से 70 फीसदी अकेले इंडोनेशिया से और बाकी 30 फीसदी के करीब मलेशिया से आयात करता है. लेकिन इन दिनों में इंडोनेशिया के घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमत काफी ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में वहां की सरकार ने घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए खाद्य तेल के निर्यात पर रोक लगा दी है. जिसका सीधा असर भारत पर हुआ है और यहां खाद्य तेलों के दाम बढ़ गए हैं. 

रूस यूक्रेन युद्ध ने बिगाड़े हालात
देश में खाद्य तेलों के दाम बढ़ने की दूसरी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध भी है. बता दें कि यूक्रेन और रूस से बड़ी मात्रा में सूरजमुखी के तेल का निर्यात किया जाता है. हालांकि दोनों देशों के बीच जारी युद्ध ने इस निर्यात को बाधित किया है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है. बाजार में खाद्य तेलों की कमी महसूस की जा रही है, जिसने खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. रूस यूक्रेन युद्ध से पहले देश में सोयाबीन के तेल का 15 किलो का केन 1950 का था, जो अब बढ़कर 3000 के करीब पहुंच गया है.

उल्लेखनीय है कि सरकार ने खाद्य तेलों पर बीते दिनों जीएसटी घटाकर 5 फीसदी करने का फैसला किया था. यदि जीएसटी पुराने 18 फीसदी के दायरे में ही होता तो इस समय जब खाद्य तेल के दाम काफी बढ़ चुके हैं तो 18 फीसदी जीएसटी के चलते हालात और भी ज्यादा खराब हो सकते थे. 

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