ये तो हद हो गई!...जमीन-जायदाद नहीं, यहां पूरी पंचायत को ही गिरवी रख दी सरपंच साहिबा, जानिए कहां का है मामला
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ये तो हद हो गई!...जमीन-जायदाद नहीं, यहां पूरी पंचायत को ही गिरवी रख दी सरपंच साहिबा, जानिए कहां का है मामला

Guna Panchayat News: मध्य प्रदेश के गुना जिले की करोद ग्राम पंचायत में बड़ा खुलासा हुआ है, जहां महिला सरपंच लक्ष्मीबाई ने चुनाव लड़ने के लिए गांव के दबंग हेमराज सिंह धाकड़ से 20 लाख रुपए उधार लिए और बदले में पूरी पंचायत को उसके हाथों गिरवी रख दिया.

 

कमाल की हैं सरपंच साहिबा!
कमाल की हैं सरपंच साहिबा!

MP Panchayat Scandal: मध्य प्रदेश के गुना जिले से हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पूरी ग्राम पंचायत को 20 लाख रुपए में गिरवी रख दिए जाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है. गुना जिले की करोद ग्राम पंचायत में महिला सरपंच लक्ष्मीबाई ने चुनाव लड़ने के लिए गांव के एक दबंग हेमराज सिंह धाकड़ से 20 लाख रुपए उधार लिए थे. यह पूरा मामला सरपंच और एक पंच के बीच हुए लिखित एग्रीमेंट से सामने आया है, जिसमें पंचायत की जिम्मेदारी भी तीसरे व्यक्ति को सौंप दी गई थी.

बताया जा रहा है कि यह सौदा 100 रुपए के स्टांप पेपर पर 28 नवंबर 2022 को किया गया था. इस एग्रीमेंट में यह शर्त रखी गई थी कि पंचायत में होने वाले विकास कार्यों का 5 प्रतिशत कमीशन सरपंच को मिलेगा, और पंचायत की सारी जिम्मेदारियां पंच रणवीर सिंह कुशवाह निभाएंगे, जिन्हें सरपंच प्रतिनिधि भी बना दिया गया. इस सौदे को कानूनी शक्ल देने के लिए सरपंच लक्ष्मीबाई, उनके पति शंकर सिंह, पंच रणवीर सिंह और एक अन्य व्यक्ति रविंद्र सिंह ने भी हस्ताक्षर किए.

दूसरे के हाथों में पंचायत
एग्रीमेंट के मुताबिक, सरकारी फंड से जो भी विकास कार्य होंगे, उनमें से पैसा काटकर हेमराज सिंह को 20 लाख रुपए की उधारी चुकाई जाएगी. इसके अलावा पंचायत की सील, चेकबुक और जरूरी दस्तावेज भी हेमराज के पास गिरवी रखे गए. इस तरह से पंचायत की सारी व्यवस्था एक बाहरी व्यक्ति के हाथों में सौंप दी गई थी, जो कि न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि पंचायत राज व्यवस्था की पूरी आत्मा के खिलाफ है.

तुरंत जांच के दिए आदेश
जैसे ही यह मामला सामने आया, जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की. कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने जांच के आदेश दिए और प्राथमिक सबूतों के आधार पर सरपंच लक्ष्मीबाई और पंच रणवीर सिंह को पद से हटा दिया गया. यह कार्रवाई मध्य प्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत की गई. साथ ही, ऋण देने वाले हेमराज सिंह धाकड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं
इस पूरे मामले ने पंचायतों में महिला आरक्षण की हकीकत को भी उजागर कर दिया है. सरपंच महिला होने के बावजूद असल नियंत्रण सरपंच के पति और गांव के रसूखदार लोगों के पास था. करोंद पंचायत आदिवासी बहुल क्षेत्र में आती है और यह इलाका बीजेपी विधायक पन्नालाल शाक्य और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के क्षेत्र में आता है, बावजूद इसके इतने गंभीर मामले पर शुरुआत में कोई निगरानी नहीं हो सकी.

एक और मामला आया 
इसी तरह का एक और मामला गुना जिले के चाचौड़ा की रामनगर पंचायत से सामने आया है, जहां आदिवासी महिला सरपंच मुन्नीबाई सहरिया ने भी चुनाव जीतने के लिए गांव के ही दबंग रामसेवक मीना से उधारी ली थी. चुनाव जीतने के बाद दोनों के बीच यह तय हुआ कि पंचायत का पूरा नियंत्रण रामसेवक के पास रहेगा और बदले में मुन्नीबाई को हर साल एक लाख रुपए दिए जाएंगे. इस मामले में भी कलेक्टर ने जांच कर मुन्नीबाई को पद से हटा दिया है और रामसेवक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. प्रशासन का कहना है कि ऐसे अन्य मामलों पर भी जल्द कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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