नाथूराम गोडसे की प्रतिमा को लेकर फिर चर्चा में हिंदू महासभा, जानें अब क्या करने जा रहे?
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नाथूराम गोडसे की प्रतिमा को लेकर फिर चर्चा में हिंदू महासभा, जानें अब क्या करने जा रहे?

हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) एक बार फिर चर्चा में है. नाथूराम गोडसे (Nathuram godse)को भगवान की तरह पूजने वाली हिंदू महासभा ने कहा है कि वो अंबाला सेंट्रल जेल से लाई गई मिट्टी से नाथूराम गोडसे की प्रतिमा बनाएगी.

नाथूराम गोडसे की प्रतिमा को लेकर फिर चर्चा में हिंदू महासभा, जानें अब क्या करने जा रहे?

ग्वालियर: हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) एक बार फिर चर्चा में है. नाथूराम गोडसे (Nathuram godse)को भगवान की तरह पूजने वाली हिंदू महासभा ने कहा है कि वो अंबाला सेंट्रल जेल से लाई गई मिट्टी से नाथूराम गोडसे की प्रतिमा बनाएगी. इसे लेकर महासभा के कुछ कार्यकर्ता पिछले हफ्ते अंबाला की जेल (Ambala Central Jail) से मिट्टी भी लाए थे. इससे पहले भी हिंदू महासभा अपने बयानों को लेकर चर्चा में रही है.

जेल की मिट्टी से बनेगी नाथूराम गोडसे की प्रतिमा 
हाल ही में हिंदू महासभा ने ऐलान किया है कि वो हरियाणा की अंबाला सेंट्रल जेल से मिट्टी लाए हैं, जिससे वो नाथूराम गोडसे की प्रतिमा बनाएंगे. इस प्रतिमा को ग्वालियर में स्थापित किया जाएगा. बतया जा रहा है कि महासभा के कार्यकर्ता पिछले हफ्ते अंबाला की जेल से मिट्टी ला चुके हैं. इसी जगह पर गोडसे और नारायण आप्टे को महात्मा गांधी की हत्या के अपराध में 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गई थी. महासभा के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ में गोडसे और आप्टे की प्रतिमाएं स्थापित कर दी हैं और कहा है कि वो हर राज्य में इस तरह के बलिदान धाम का निर्माण करेंगे.

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खून से लिखी थी चिट्ठी
बता दें कि हाल ही में हिंदू महासभा उस समय चर्चा में आ गई थी जब उनके कार्यकर्ताओं ने वीर सावरकर सरोवर को खोलने की मांग को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से पत्र लिखा था. कार्यकर्ताओं का कहना था कि तीन साल से स्मार्ट सिटी के नाम पर रिनोवेशन का काम किया जा रहा है,जिसके चलते सावरकर सरोवर आम लोगों के लिए बंद है. इसका काम पूरा हो गया है तब भी इसे नहीं खोला जा रहा है क्योंकि अंचल के बड़े नेता इस के शुभारंभ के लिए आने का समय नहीं दे पा रहे हैं.

एक साथ हुई थी फांसी 
बता दें कि महात्मा गांधी की हत्या में नाथूराम गोडसे सहित 9 आरोपी शामिल थे, जिनमें विनायक दामोदर सावरकर और नारायण दत्तात्रेय आप्टे भी शामिल थे. हालांकि सावरकर को पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था, लेकिन नारायण आप्टे को नाथूराम के साथ ही फांसी की सजा सुनाई गई थी. 

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