Scindia v/s Gandhi:  आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तीखी बयानबाजी चरम पर आती दिख रही है. एक तरफ लोक लुभावन वादों की पोटली खुल चुकी है. दूसरी तरफ बयानों के बाण भी कमान से निकल रहे हैं. राजनीतिक जीवन में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कभी हर कदम ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के साथ चलते थे. पार्टी बदली तो कहा गया राजनीतिक मतभेद हैं, मनभेद नहीं. साल बीतते गए और अब जैसे जैसे लोकसभा चुनाव (Assembly Election 2023) पास आ रहे हैं, सिंधिया इस तरह लगातार हमले कर रहे हैं मानों सालों की भड़ास निकाल रहे हों.  


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राहुल गांधी पर ट्वीट
एक बार फिर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी पर ट्वीट कर बड़ा हमला किया. दरअसल मामला तब तूल पकड़ा जब राहुल गांधी ने अडानी के मुद्दे पर पोस्ट लिखा और उसमें सिंधिया का भी नाम ले लिया. इसी के जवाब में सिंधिया ने भी ट्वीट कर खरी खोटी सुनाई. सिंधिया ने राहुल को ट्रोल तक कह डाला. सिंधिया ने एक के बाद एक 3 ट्वीट किए और राहुल गांधी और कांग्रेस से कई सवाल पूछ लिए. उन्होंने राहुल गांधी से पूछा कि 'स्पष्ट है कि अब आप एक ट्रोल तक सीमित हो चुके हैं. मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाने और मुख्य मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के बजाय, इन तीन प्रश्नों का जवाब क्यों नहीं देते? 


1. पिछड़े वर्ग को लेकर अपमानजनक बयान के लिए आप माफी क्यों नहीं मांगते? उल्टा कहते हैं कि आप सावरकर जी नहीं हैं, माफी नहीं मांगेंगे! देश सेवक का अपमान और इतना अहंकार!!


2. जिस न्यायालय पर कांग्रेस ने सदैव ऊंगली उठाई, आज अपने स्वार्थ हेतु उस पर दबाव क्यों बना रहे हैं? आपके लिए नियम अलग क्यों हों? 


3. अपने आप को क्या आप फर्स्ट क्लास नागरिक मानते हैं? आप अहंकार में इस कदर ग्रस्त है कि शायद इन सवालों की महत्ता भी आपकी समझ से परे है. 


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दोस्त दोस्त ना रहा 
पुरानी बात करें तो एक समय सिंधिया, राहुल के साथ हर कदम पर दिखाई देते थे. समय और हालात बदले तो सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आ गए, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने खुलकर राहुल गांधी के लिए बोलने से हमेशा गुरेज रखा. उन्होंने यही दिखाया कि राजनीतिक मतभेद हैं, मनभेद नहीं है. लेकिन बीते कुछ दिनों में सिंधिया लगातार और खुलकर राहुल गांधी पर निशाना साध रहे हैं.  अडानी मामले पर सिंधिया का नाम जोड़ने के बाद राहुल गांधी सिंधिया के सीधे निशाने पर हैं. अब इसे चुनावी असर कहा जाए या संयोग कि हमेशा अपनी गरिमा में रहने वाले महाराज अचानक आक्रामक हो गए हैं. 


पारिवारिक दोस्ती के बीच एक तरफ राजीव गांधी की हत्या हुई और दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की दुर्घटना में मौत हो गई. इसके बाद उनकी आगे की पीढ़ी राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की दोस्ती को नए आयाम मिले. पहले एक साथ स्कूल और उसके बाद दोनों ने एक साथ राजनीति में कदम रखा. लोकसभा में भी राहुल और सिंधिया एक साथ ही बैठते थे. उन्हें अक्सर धीमी आवाज में राहुल को बताते देखा जाता था कि किसी के सवाल का क्या जवाब देना है.


दिग्विजय को माना जाता है कारण 
कहा जाता है कि सिंधिया और दिग्विजय सिंह के परिवार की लंबे समय से खटपट चलती रही है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की और सरकार बना ली. कमलनाथ ने उस समय कई सिंधिया समर्थक विधायकों को पद दिया. इसी समय दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह और प्रियव्रत सिंह सहित कुछ विधायक भी मंत्री बने. लेकिन धीरे धीरे कमलनाथ सरकार में दिग्विजय सिंह का दबदबा बढ़ता गया और यहीं से सिंधिया का कमलनाथ और काग्रेस से मनमुटाव शुरू हुआ. 


राहुल गांधी ने नहीं दिया मिलने का समय 
इस आग में घी डालने का काम किया जब सिंधिया लोकसभा चुनाव हारे और राज्यसभा से सांसद बनने की उम्मीद लगा ली. उस समय दिग्विजय सिंह ने उन्हें रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मामला बढ़ा तो सिंधिया ने इस बाबत राहुल गांधी से बात करना चाही.  लेकिन राहुल गांधी से मिलने का समय उन्हें मिला ही नहीं. यहीं से उनका दिमाग खटका और उन्होंने बीजेपी में जाने का मन बना लिया. बस फिर क्या था सिंधिया कांग्रेस का हाथ छोड़ कमल के हो लिए और राहुल गांधी की दोस्ती को विराम लग गया. इतने के बाद भी सिंधिया ने राहुल पर सीधे रूप से हमला नहीं किया लेकिन अब हालात बदल गए हैं.