कमलनाथ ने इस बात के संकेत पहले ही दिए थे शायद ही प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होंगे. क्योंकि पिछले दिनों उन्हें पीके को लेकर एक बड़ा बयान दिया था.
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भोपाल। लंबे समय से इस बात की चर्चा चल रही थी कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जल्द ही कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाले हैं, लेकिन अब इन चर्चाओं पर विराम लग गया है, क्योंकि कांग्रेस के दिग्गज नेता रणदीप सुरजेवाला ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होने वाले. खास बात यह है कि भले ही इस पूरे मामले में अब स्पष्टता सामने आई हो लेकिन मध्य प्रदेश से इस बात के संकेत पहले ही मिलने लगे थे कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे.
कमलनाथ ने दिया था संकेत
दरअसल, मध्य प्रदेश में इस बात के संकेत पहले ही मिले थे कि शायद प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे. क्योंकि जब कमलनाथ से पीके के लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था कि ''हम प्रशांत किशोर पर डिपेंड नहीं हैं. हमने विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारी पिछले 6 महीने से शुरू कर दी है. कमलनाथ ने कहा था कि प्रशांत किशोर कांग्रेस से जुड़ेंगे तो केवल मध्य प्रदेश के लिए नहीं जुड़ेंगे और प्रदेश भी है. पीके का अपना अनुभव है. उनके जुड़ने का कांग्रेस को लाभ होगा, पर हमारी तैयारी भी है. हम किसी पर डिपेंड नहीं करते कि प्रशांत किशोर आएगा नहीं आएगा.''
आखिर कहां बिगड़ी बात
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भले ही प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेताओं के सामने पूरा प्रजेंटेशन दिया था. लेकिन उनके तर्कों से कांग्रेस के ही कुछ सीनियर नेता खुश नहीं थे. क्योंकि कांग्रेस नेताओं का यह भी तर्क था कि पार्टी केवल प्रशांत किशोर के आईडिया पर ही निर्भर नहीं है. गौरतलब है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हाल ही के दिनों में कई बार मुलाकात कर चुके थे. उन्होंने सोनिया गांधी को अपनी योजनाएं पर प्रजेंटेशन भी दिया है. इसके बाद ही उनकी कांग्रेस में आने की अटकलें भी तेज हुई थी. इससे पहले पीके ने 600 स्लाइड की प्रस्तुति भी दी थी.
सुरजेवाला ने पहले भी दिए थे संकेत
दरअसल, आज कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए बताया कि चुनाव रणनीतिका प्रशांत किसो कांग्रेस का हिस्सा नहीं बनेंगे. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने एक एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 का गठन किया और प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी देते हुए ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. लेकिन उन्होंने मना कर दिया. बता दें कि इससे पहले सुरजेवाला ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जो कांग्रेस का एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप ही फैसला करेगा.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि शायद इस मुद्दे पर पार्टी नेता और पीके में सामजंस्य न बना हो. क्योंकि प्रशांत किशोर ने अपना अलग प्लान लोकसभा और राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बताया था.
एक वजह यह भी हो सकती है
इसके अलावा कांग्रेस यह भी चाहती थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में फुलटाइम के लिए शामिल हो, यानि वह कांग्रेस में रहते हुए केवल कांग्रेस के लिए काम करें और दूसरे राजनीतिक दलों से दूरी बना लें. यह बात भी एक वजह हो सकती है. क्योंकि प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार माने जाते हैं, वह अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग क्षेत्रीय दलों के लिए भी काम करते हैं, ऐसे में कांग्रेस और प्रशांत किशोर में सहमति न बन पाने की यह भी एक वजह मानी जाती है.
इसको इस हिसाब से भी समझा जा सकता है कि जब तेलंगाना में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, प्रशांत किशोर यहां सत्ताधारी दल टीआरएस के लिए रणनीति तैयार करने में जुटे हैं, जबकि तेलंगाना में कांग्रेस विपक्षी पार्टी में हैं, ऐसे में अगर पीके कांग्रेस में शामिल होते हैं तो फिर टीआरएस के लिए काम कैसे करते.
कांग्रेस के सीनियर नेताओं से एकमत होना
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि इसके अलावा एकमत भी एक बड़ा मुद्दा हो सकता है. कमलनाथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस के स्थापित नेता है, 2018 के विधानसभा चुनाव में वह पार्टी को सफलता भी दिला चुके हैं, ऐसे में कमलनाथ की अपनी एक टीम है और अपनी तैयारी. ऐसे केवल पीके की सलाह पर चलना यह बड़ा मुद्दा हो सकता था. कमलनाथ का यह बयान प्रशांत किशोर आए या न आए हमारी तैयारी पूरी है. यह इस तरफ इशारा करता है.
प्रशांत किशोर ने भी किया ट्वीट
इसके अलावा रणदीप सुरजेवाला के ट्वीट के बाद प्रशांत किशोर ने भी ट्वीट कर कांग्रेस पार्टी में शामिल न होने का रीजन बताया. उन्होंने लिखा कि कांग्रेस में शामिल होने और चुनाव के लिए अधिकार प्राप्त समूह की जिम्मेदारी संभालने के कांग्रेस के दिलेर प्रस्ताव को विनम्रता से खारिज कर दिया है. मुझे लगता है बल्कि मेरी विनम्र राय है कि कांग्रेस पार्टी को मुझसे कहीं ज्यादा एक मजबूत नेतृत्व और सामूहिक इच्छा शक्ति की जरूरत है, जो परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से पार्टी कीजड़ों में घुस चुकी संरचनात्मक समस्याओं को दूर कर सके. यानि पीके फिलहाल कांग्रेस में शामिल नहीं होना चाहते.
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