Kanha Tiger Reserve: 21 मार्च को 8 बारासिंघा को मंडला के कान्हा टाइगर रिजर्व से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व शिफ्ट कराया गया है. यह निर्णय विलुप्त होने के कगार पर पहुँचे बारासिंघा के संरक्षण के लिए लिया गया है.
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Mandla News: बारासिंघा के संरक्षण के लिए मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व से 8 बारासिंघा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेजे गए हैं. जिसमें 3 नर और 5 मादा बारासिंघा को विशेष वाहन से सतपुड़ा भेजा गया है. इसके पीछे वजह ये है कि दुनिया में दुर्लभ और विलुप्त होने की कगार पर मौजूद इन बारहसिंगों का संरक्षण किया जा सके. आपको बता दें कि दुनिया में विलुप्त होने की कगार पर पहुंची बारासिंघा प्रजाति सिर्फ कान्हा टाइगर रिजर्व में ही पाई जाती है.
विश्व के अति संकटग्रस्त प्रजाति में आते हैं बारासिंघा
आपको बता दें कि बारासिंघा दुनिया की अति संकटग्रस्त प्रजाति में आते हैं. इनकी प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए 2015 से इन्हें दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों में बसाने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके बाद उन्हें कान्हा से स्थानांतरित किया जा रहा है. अब तक बारासिंघा को कान्हा से बाधवगढ़, सतपुड़ा और वन विभाग में शिफ्ट किया जा चुका है. बारासिंघा के संरक्षण में कान्हा टाइगर रिजर्व का विशेष योगदान है.
मध्यप्रदेश में बारासिंघा को राजकीय पशु का दर्जा
मध्य प्रदेश में बारासिंघा को राज्य पशु का दर्जा दिया गया है. अति संकट प्रजाति में आने वाले बारासिंघा के संरक्षण में कान्हा टाइगर रिजर्व ने विशेष योगदान दिया है. एक समय था जब इनकी प्रजाति केवल कान्हा राष्ट्रीय उद्यान तक ही सीमित थी. लेकिन अब उनके ट्रांसलोकेसन कार्यक्रम के कारण ये हमें और भी नेशनल पार्कों में दिखते हैं. 1970 में इनकी संख्या तेजी से घटते-घटते मात्र 66 रह गयी थी. लेकिन कान्हा टाइगर रिजर्व के प्रयासों से इनकी संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है. अब ये 1000 से भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं.
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जानें शिफ्टिंग की वजह
सहायक संचालक फेन सेंचुरी मुकेश जामोर का कहना है कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के निर्देश पर उक्त कार्य किया जा रहा है, ताकि कान्हा में बारासिंघा को कभी किसी प्रकार की बीमारी या प्राकृतिक आपदा का खतरा हो तो वे अन्य राष्ट्रीय उद्यानों में सुरक्षित रह सकें. यही कारण है कि इस प्रजाति का विस्तार देश के अन्य पार्कों में किया जा रहा है.
रिपोर्ट -विमलेश मिश्रा