प्रमोद सिन्हा/खंडवा: जिले में हर साल गर्मी के सीजन में लोगों को स्विमिंग पूल (swimming pool) की याद सताती है. ऐसा करते - करते 10 साल बीत गए. लेकिन आज तक यह स्विमिंग पूल पूरा नहीं बन पाया. स्विमिंग पूल में तैरने का इंतजार करते करते एक पीढ़ी ( generation) गुजर गई. विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी (congress party) को भी स्विमिंग पूल के बहाने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधने का मौका मिल जाता है. पिछले दो बार के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र का मुख्य मुद्दा रहा खंडवा का यह स्विमिंग पूल इस बार फिर सुर्खियों में है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि इस स्विमिंग पूल में जनभागीदारी से लगभग 65 लाख रुपया खंडवा के लोगों का लगा है. हर साल गर्मी के सीजन में लोग सकरी नदियों, तालाबों में नहाने जाते हैं और स्विमिंग पूल नहीं बनने के कारण नगर निगम को कोसते हैं।


जनभागीदारी से इकठ्ठा हुआ था 65 लाख
आम जनता की मेहनत की कमाई को कैसे पलीता लगाया जाता है. यह खंडवा में 12 साल से बन रहे स्विमिंग पूल को देख कर समझ सकते हैं. वर्ष 2012 में जनभागीदारी से स्वीमिंगपूल निर्माण की शुरुआत हुई थी. खंडवा के उद्योगपतियों और समाजसेवियों ने लगभग 65 लाख रु पर इकट्ठा किया था और इतने ही पैसे शासन से लगाकर लगभग सवा करोड़ रुपए की लागत का स्विमिंग पूल बनाने की प्लानिंग की गई. स्विमिंग पूल अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर डिजाइन किया गया था. निर्माण कार्य शुरू भी हुआ लेकिन अंत अभी तक नहीं हो पाया. अब उसकी लागत दोगुने से भी ज्यादा हो गई. इन 12 वर्षों में बच्चों की एक पीढ़ी जवान होकर निकल गई. लेकिन खंडवा का स्विमिंग पूल अभी भी अधूरा पड़ा है.


कांग्रेस लगा चुकी है भ्रष्टाचार का आरोप
खंडवा नगर निगम पर पिछले 20 वर्षों से पूर्ण बहुमत वाली भारतीय जनता पार्टी की परिषद का कब्जा रहा है. लगातार चार महापौर निकल चुके हैं. खंडवा के विधायक और सांसद भी लगभग 30 वर्षों से लगातार भारतीय जनता पार्टी के रहे हैं. खंडवा में स्विमिंग पूल बनाना पिछले 15 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख चुनावी वादा रहा है, लेकिन अफसोस की बात है कि इतने सारे जनप्रतिनिधि और राज्य सरकार होने के बावजूद एक अदना सा स्विमिंग पूल 12 वर्षों में भी पूरा नहीं हो पाया. वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी लगातार अनोखे विरोध प्रदर्शन कर रही है. कभी बाल्टी के पानी से नहाया तो कभी बाथ टब में बैठ कर विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन इसके बावजूद हालात नहीं बदले. काग्रेस पार्टी स्विमिंग पुल के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर थक चुकी है.


गौरतलब है कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, काग्रेस पार्टी फिर जनता के बीच यही चुनावी मुद्दा लेकर जाएगी. इसी बात को ध्यान में रखते हुए सत्ताधारी दल आनन-फानन में स्विमिंग पूल निर्माण को पूरा करना चाहती है. अभी इसमें जैसे-तैसे काम करवा कर पानी भरा गया है. इसकी टेस्टिंग की जा रही है. कलेक्टर स्वयं कहते हैं कि स्विमिंग पूल की छत बाद में बनाएंगे. पहले तो इसे तैराकी के लिए शुरू करना मुख्य उद्देश्य है.


चार साल में नही पूर हो पाई जांच
चार साल पहले इस स्विमिंग पूल की ट्रस जिसे छत भी कहते हैं, भरभरा कर गिर पड़ी थी. तभी से इस स्विमिंग पुल के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगना शुरू हुए. इसकी जांच भी चल रही है लेकिन अभी तक पूरी नहीं हुई. चुनाव को देखते हुए कलेक्टर साहब की भी मजबूरी है कि वह इसे तैरने योग्य बना दें. क्योंकि सत्ता का दबाव है ? आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल के लोग जनता के सामने किस मुंह से जाएंगे, मेन प्रश्न यही है. इसलिए स्विमिंग पुल के निर्माण में क्वालिटी के बजाय जल्दबाजी को तवज्जो दी जा रही है. अब देखना है कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव में यही स्विमिंग पूल सत्ताधारी दल के लिए उपलब्धि बनेगा या मुसीबत का रोड़ा?


ये भी पढ़ेंः MP Caste Politics: चुनावी साल में ब्राह्मण, यादव और धाकड़ समाज की एक राह! किसकी बढ़गी टेंशन, किसकी होगी विजय?