भोपाल को मिली नई पहचान, `टाइगर राजधानी` के नाम से जाना जाएगा शहर, जानें
ratapani tiger reserve-राजधानी भोपाल को एक और नई पहचान मिल गई है. सीएम मोहन यादव ने प्रदेश के 8वें टाइगर रिजर्व को लोकार्पण कर भोपाल को नई पहचान दी है. इस दौरान सीएम के एक्टर रणदीप हुड्डा भी मौजूद रहे. सीएम ने प्रधानमंत्री मोदी का भी आभार जताया.
madhya pradesh news-मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को उसकी नई पहचान मिल गई है, अब भोपाल को टाइगर राजधानी के नाम से भी जाना जाएगा. क्योंकि प्रदेश के आठवे टाइगर रिजर्व रातापानी टाइगर रिजर्व का सीएम ने लोकार्पण किया है. भोपाल देश की पहली राजधानी है जिसका नाम टाइगर रिजर्व से जुड़ा है.. इससे पहले यहां पर सात टाइगर रिजर्व मौजूद थे.
टाइगर रिजर्व का लोकार्पण CM मोहन यादव ने किया. इस दौरान रणदीप हुड्डा, कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग, कृष्णा गौर और भाजपा प्रभारी मंत्री डॉ महेंद्र सिंह भी मौजूद रहे.
वाकणकर के नाम से जाना जाएगा रातापानी
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि रातापानी टाइगर रिजर्व का नाम पुरातत्वविद डॉ. विष्णु वाकणकर के नाम से जाना जाएगा. रातापानी स्थित विश्व धरोहर भीमबेटका को डॉ. वाकणकर के अथक परिश्रम के परिणाम स्वरुप ही पहचान प्राप्त हुई है.
पीएम को दिया धन्यवाद
सीएम मोहन यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को शुक्रिया करते हुए कहा कि - राज्य को एक और टाइगर रिजर्व देने के लिए मैं मोदी जी को शुक्रिया अदा करता हूं. भोपाल की जनता के लिए आज बहुत खुशी और गर्व का दिन है. उन्होंने कहा कि देश में भोपाल ही एकमात्र ऐसी राजधानी है, जिसके आंगन में टाइगर रिजर्व विद्यमान है. इसके साथ ही सीएम यादव ने रणदीप हुड्डा के साथ बाइक रैली में खुद बुलेट चलाई.
कितना होगा क्षेत्र
रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया का रकबा 763 वर्ग किलोमीटर वहीं फर एरिया का रकबा 507 वर्ग किलोमीटर है. इस प्रकार से टाइगर रिजर्व का कुल रकबा 1271 वर्ग किलोमीटर होगा. फिलहाल यहां 96 बाघ मौजूद हैं, साल 2026 तक इनकी संख्या 150 तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. बता दें कि एमपी को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला हुआ है. साल 2022 की गणना के अनुसार यहां 785 बाघ मौजूद हैं.
खुलेंगे रोजगार के अवसर
बता दें कि भोपाल में टाइगर रिजर्व होने से नए रोजगार के अवसर खुलने की संभावनाएं है. टाइगर रिज़र्व बनने के कारण यह पर्यटन को और बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. स्थानीय ग्रामीणों को ईको टूरिज्म के जरिए फायदा होगा.