मध्य प्रदेश में अभी और शहरों और जगहों के नाम बदले जा सकते हैं. इसका इशारा खुद संस्कृति मंत्री ने किया है. संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने मिंटो हॉल का नाम बदलने पर सभी को बधाई दी.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में अभी और शहरों और जगहों के नाम बदले जा सकते हैं. इसका इशारा खुद संस्कृति मंत्री ने किया है. संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने मिंटो हॉल का नाम बदलने पर सभी को बधाई दी. हमीदिया और अन्य जगहों के नाम बदलने की मांग पर संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि कहा जहां-जहां ऐतिहासिक तथ्य प्रमाणों के साथ नाम बदलने की मांग होगी उसका नाम बदल देंगे. वहीं कृषि मंत्री भी उषा ठाकुर का समर्थन करते हुए दिखे.
मिंटो हॉल का नाम बदलने पर कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि भारत 15 अगस्त को आजाद हुआ अंग्रेज चले गए, लेकिन अंग्रेजियत छोड़ गए. बीजेपी सभी वो चिन्ह मिटाना चाहती है जो गुलामी के चिन्ह है. हम देश के लिए लड़ने वाले लोगों के नाम पर जगहों के नाम रख रहे हैं.
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आपको बता दें कि हाल ही में इंदौर के भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर किया गया था. इसके साथ ही इंदौर के पातालपानी स्टेशन, बस स्टैंड और चौराहे का नाम टंट्या भील किया जा रहा है. भोपाल के मिंटो हाल का नाम भी अब कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर कर दिया गया है.
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प्रदेश में कब से शुरू हुआ में नाम बदलने का चलन
मध्य प्रदेश में जगहों और शहरों के नाम बदलने की शुरुआत नर्मदापुरम (होशंगाबाद) और भेरूंदा (नसरल्लागंज) से हुई. इसी कड़ी में राज्य सरकार राजधानी भोपाल, यहां के मिंटो हॉल, ईदगाह हिल्स, रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज, गैरतगंज, बेगमगंज और गौहरगंज, बुरहानपुर शहर, सुल्तानपुर समेत एक दर्जन शहरों-स्थानों के नाम बदलने की तैयारी में भी है. इसके अलावा भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भोपाल के इस्लामनगर, लालघाटी, हलाली डैम और हलालपुरा बस स्टैंड नाम बदलने की मांग कर चुकी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी इन स्थानों के नाम बदलने की मांग कर चुकी हैं. दोनों भाजपा नेत्रियों का कहना है कि ये सभी नाम मुस्लिम शासकों के वक्त रखे गए थे.
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