ये है MP का सबसे अनोखा गांव, न लड़ाई-झगड़ा न ही पुलिस केस, न ही एक भी बोरवेल, जानें क्या है खास
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ये है MP का सबसे अनोखा गांव, न लड़ाई-झगड़ा न ही पुलिस केस, न ही एक भी बोरवेल, जानें क्या है खास

mp news-बड़वानी जिले में मध्यप्रदेश का अनोखा गांव हैं, जहां पूरे गांव में एक भी बोरवेल नहीं है. साथ ही सालों से इस गांव में कभी कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है इसलिए गांव के किसी भी व्यक्ति पर कोई पुलिस केस दर्ज नहीं है. इस गांव को कुओं वाला गांव के नाम से जाना जाता है.

 

ये है MP का सबसे अनोखा गांव, न लड़ाई-झगड़ा न ही पुलिस केस, न ही एक भी बोरवेल, जानें क्या है खास

unique village of madhya pradesh-आपको मध्यप्रदेश के एक ऐसे अनोखे गाँव में लेकर चलते हैं जहाँ एक-दो नहीं बल्कि 129 कुएं हैं. ‘कुओं वाला गाँव’ के नाम से प्रसिद्द इस गाँव में एक भी बोरवेल नहीं हैं. गर्मी हो या सर्दी, यहाँ के कुएं और हैंडपंप कभी सूखते नही. इस गाँव के लोग सालों पहले पानी का मोल समझ चुके थे.  ग्रामीणों की आपसी सहमती से गाँव के सभी सदस्यों को मिली खेती और पीने का हमेशा पर्याप्त पानी रहा है. साथ ही इस गाँव में सालों से कभी कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ, इस कारण गाँव के किसी भी व्यक्ति पर कोई पुलिस केस दर्ज नहीं है.

 
कुओं वाला गांव 
बड़वानी जिले के सेंधवा शहर से मात्र 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत राईं आज देशभर के अन्य गांवों के सामने एक मिसाल है. इस गाँव के लोगों ने सालों पहले पानी के महत्व को समझते हुए एक ऐसा निर्णय लिया था, जिसकी वजह से आज इस गाँव के कुओं में गर्मी के मौसम में भी पानी बना रहता है. करीब ढाई हजार की आबादी वाले राईं गाँव में 129 कुएं है. इस कारण कई लोग इसे ‘कुओं वाला गाँव’ भी कहते हैं. हालाँकि इस गाँव में भले ही 129 कुएं है, लेकिन एक भी बोरवेल नहीं है.

आपसी सहमति से लिया था फैसला
गाँव के लोगों ने सालों पहले आपसी सहमती से यह निर्णय लिया था कि गाँव में कोई भी बोरवेल नहीं करवाएगा, गाँव वालों का मानना था कि अगर गाँव में बोरवेल करवाएँगे तो इससे गाँव का वाटर लेवल नीचे की ओर जाएगा और एक समय ऐसा आएगा जब गाँव के कुओं में पानी ही नहीं बचेगा. इससे ग्रामीणों के बीच बोरवेल करवाने की होड़ मच जाएगी, जिससे ना सिर्फ खेती का खर्च बढ़ेगा बल्कि धीरे-धीरे वाटर लेवल इतना नीचे चला जाएगा कि गर्मियों के मौसम में बोरवेल में भी पानी नहीं आएगा, ग्रामीणों की सहमती से सालों पहले बनाया गया यह नियम आज तक कायम है और गाँव का कोई भी सदस्य बोरवेल नहीं करवाता है.

नल-जल योजना से किया परहेज
 ग्राम पंचायत राईं के लोग अपने निर्णय को लेकर इतने अडिग है कि उन्होंने अपने गाँव में नल-जल योजना लागू करवाने से भी मना कर दिया. दरअसल इस योजना के तहत हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए बोरवेल करवाना जरूरी था. ग्रामीणों ने बोरवेल खुदवाने का विरोध करते हुए इस योजना को लागू करने से ही मना कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में पीने के पानी की कोई कमी नहीं है. गाँव के कुओं और हैंडपंप में सालभर पानी रहता है.

गर्मी में भी नहीं होती पानी की कमी
गर्मियों में जहाँ आसपास के क्षेत्रों में पानी की भारी कमी होती है, वहीं राईं गाँव के लोगों के पास सिर्फ पीने के लिए ही नहीं बल्कि सिंचाई करने के लिए भी पर्याप्त पानी होता है. गाँव का जलस्तर अच्छा होने से गाँव के सभी किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो पाता है. इससे गर्मी के मौसम में भी इस गाँव के खेतों में हरियाली दिखाई देती है.

सालों से नहीं हुआ कोई विवाद
ग्रामीणों की इस पहल ने ना सिर्फ पानी की समस्या को हल किया, बल्कि गाँव के लोगों में आपसी सहमति और शांतिपूर्वक जीवन जीने की आदत को भी बढ़ावा दिया. यहाँ आपसी समझ और सहयोग का माहौल है, जिसकी वजह से कोई भी बड़ा विवाद या लड़ाई-झगड़ा नहीं होता. अगर किसी वजह से गाँव के सदस्यों के बीच कोई विवाद हो भी जाता है तो उसे गाँव के बुजुर्गों या पंचायत के सदस्य आपस मिलकर शांतिपूर्वक सुलझा लेते हैं. इस पहल का असर यह हुआ कि आज गाँव के किसी भी सदस्य के खिलाफ थाने में कोई केस दर्ज नहीं है. गाँव के किसी सदस्य को विवाद के चलते कोर्ट के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं.

बड़वानी से पुष्पेंद्र वैद्य की रिपोर्ट

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