Mauganj Violence Latest Update: मऊगंज में एसडीओपी अंकिता शूल्या को आरोपियों ने बंधक बना लिया था. आरोपियों ने जिस कमरे में उन्हें बंद किया था, उसमें आग लगाने की बात कर रहे थे. आरोपियों की मांग थी कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों को छोड़ा जाए.
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Mauganj Violence Latest Update: मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले में बीते शनिवार को बड़ा बवाल हुआ. इस बवाल में SDOP अंकिता शूल्या को आरोपियों ने बंधक बना लिया था. आरोपी कमरे में आग लगाने की बात कर रहे थे. आरोपियों की मांग थी कि पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों को छोड़ा जाए. DIG-SP के कहने पर भी SDOP अंकिता शूल्या ने आरोपियों को छोड़ने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें सजा दिलाना हमारा कर्तव्य है. SDOP अंकिता शूल्या को 1 घंटे से ज्यादा समय तक कमरे में बंधक बनाकर रखा गया. पुलिस ने हवा में फायरिंग कर उन्हें छुड़ाया. बंधक बनाई गईं SDOP अंकिता शूल्या ने ज़ी मीडिया से बातचीत के दौरान पूरी घटना का सच बताया. आइए जानते हैं आखिर हुआ क्या था.
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घर में बंधक बनी SDOP ने बताई आपबीती
दरअसल मऊगंज में हुए खौफनाक घटना में एसडीओपी अंकिता शूल्या को आरोपियों ने बंधक बना लिया था. आरोपियों की मांग थी कि गिरफ्तार आरोपियों को छोड़ा जाए, लेकिन अंकिता ने डीआईजी-एसपी के कहने पर भी आरोपियों को छोड़ने से इनकार कर दिया. एसडीओपी का कहना था कि दोषियों को सजा दिलाना उनका कर्तव्य है. फिर पुलिस ने हवाई फायरिंग कर उन्हें छुड़ाया. जान की परवाह किए बगैर एसडीओपी अंकिता शूल्या अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी ड्यूटी पर डटी रहीं. इस दौरान पथराव हुआ और कई पुलिस कर्मी घायल हो गए. अब तक 20 आरोपी हिरासत में हैं, जबकि पत्रकार, सरपंच और पूर्व सरपंच की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. सभी से पूछताछ की जा रही है.
आग लगाने की बात कर रहे थे आरोपी
ज़ी मीडिया से बात करते हुए एसडीओपी अंकिता शुल्या ने बताया कि 'आरोपी उस कमरे में आग लगाने की बात कर रहे थे जिसमें उन्हें बंद किया गया था. आरोपियों की मांग थी कि पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है उन्हें छोड़ा जाए'. उन्होंने कहा कि 'उन्हें 1 घंटे से ज्यादा समय तक कमरे में बंद रखा गया. फिर पुलिस ने हवा में फायरिंग कर एसडीओपी के को छुड़ाया. इस दौरान कई घंटों तक पथराव होता रहा. हमारे कई पुलिस कर्मी घायल हुए, लेकिन शव को छोड़ना ठीक नहीं था. अब तक 20 आरोपी हिरासत में हैं, अन्य की तलाश जारी है. पत्रकार, सरपंच, पूर्व सरपंच की भूमिका संदिग्ध है.'
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अब जानिए पूरा मामला
दरअसल, मऊगंज जिले के शाहपुरा थान क्षेत्र के गड़रा गांव में आदिवासी परिवार ने एक युवक को बंधक बनाकर मारपीट की. सूचना मिलते ही मौके पर युवक को बचाने पुलिस की टीम जैसे ही पहुंची, आदिवासियों ने पुलिस टीम पर जानलेवा हमला बोल दिया. इस हमले में एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई. साथ ही वह युवक सनी द्विवेदी भी मारा गया, जिसे आदिवासी परिवार ने बंधक बनाया था. घटना के बाद से गड़रा गांव में धारा 163 लागू कर दिया गया था. साथ ही आस-पास के जिलों बड़ी संख्या में पुलिस बल बुलाकर गांव में तैनात किया गया था.
क्यों हुआ विवाद
मऊगंज में हुए विवाद का असली कारण दो महीने पहले हुआ एक सड़क हादसा बताया जा रहा है. आदिवासियों का आरोप था की दो माह पूर्व उनके परिवार सदस्य की एक्सीडेंट करके युवक ने उसकी हत्या थी. लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. दो माह पूर्व हुए इस हादसे में अशोक कुमार आदिवासी की मौत हो गई थी. आदिवासी परिवार ने इसे हादसा न मानते हुए सनी द्विवेदी नाम के युवक पर हत्या का आरोप लगाया था. बताया जा रहा है कि पुलिस ने जांच के बाद सनी को क्लीनचिट दे दी थी. लेकिन इससे आदिवासी परिवार के लोग संतुषट नहीं थे. इसी के चलते शनिवार को आदिवासियों ने एकजुट हुए और सनी द्विवेदी को बंधक बनाकर एक कमरे में बंद कर लिया. इसके बाद सनी के साथ जमकर मारपीट की गई, जिससे उसकी मौत हो गई.
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