MP में पंचायतों का परिसीमन पूरा, अब आरक्षण की बारी, जानिए कब साफ होगा चुनाव का रास्ता
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MP में पंचायतों का परिसीमन पूरा, अब आरक्षण की बारी, जानिए कब साफ होगा चुनाव का रास्ता

बता दें कि मध्य प्रदेश में आखिरी बार पंचायत चुनाव 2014 में हुए थे, जिसके बाद चुनाव कोविड की वजह से टल गए थे, लेकिन बाद में पूरा मामला रिजर्वेशन, रोटेशन और परिसीमन में अटक गया. 

MP में पंचायतों का परिसीमन पूरा, अब आरक्षण की बारी, जानिए कब साफ होगा चुनाव का रास्ता

भोपाल। मध्य प्रदेश के मतदाताओं की नजर इस बात पर सबसे ज्यादा है कि आखिर प्रदेश में लंबे समय से लंबित पंचायत चुनाव कब होंगे. क्योंकि एक के बाद एक कई अड़चनों से पंचायत चुनाव अधर में अटके हुए हैं. हालांकि अब पंचायत चुनाव से संबंधित कई काम पूरे हो चुके हैं, नए सिरे से पंचायतों के परिसीमन का काम पूरा हो गया है, जबकि मतदाता सूची भी लगभग तैयार है, जबकि ओबीसी आरक्षण को लेकर ओबीसी मतदाताओं की गिनती का काम भी पूरा हो गया है. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही पंचायत चुनाव का रास्ता साफ हो जाए, लेकिन फिर भी कई मामले अभी अटकते हुए नजर आ रहे हैं. 

2014 में हुए थे पंचायत चुनाव 
बता दें कि मध्य प्रदेश में आखिरी बार पंचायत चुनाव 2014 में हुए थे, जिसके बाद चुनाव 2019 में होने थे, लेकिन कोविड के बाद पूरा मामला अटक गया. अब चुनाव पिछले तीन से रुके हुए हैं, इस दौरान 
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार आई और पंचायतों का परिसीमन कराया गया, लेकिन चुनाव नहीं हो पाए थे. फिर सत्ता परिवर्तन के बाद शिवराज सरकार ने 2019-20 में कराए गए परिसीमन को मध्य प्रदेश इस आदेश को निरस्त कराया और नए सिरे से परिसीमन कराया. राज्य निर्वाचन आयोग ने नबवंर में चुनाव की घोषणा भी की लेकिन रिजर्वेशन, रोटेशन और परिसीमन की राजनीति में पंचायत चुनाव ऐसा फंसा कि चुनाव निरस्त हुए और अब तक पंचायत चुनाव का रास्ता साफ नहीं हो पाया. 

रिजर्वेशन, रोटेशन और परिसीमन पर नए सिरे से पूरी प्रक्रियाएं चल रही हैं, जिनमें से रोटेशन और परिसीमन का काम पूरा हो गया है, इसके अलावा मध्य प्रदेश में नए सिरे से पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची भी तैयार हो गई है. 

मतदाता सूची भी लगभग तैयार 
राज्य निर्वाचन आयोग ने नए सिरे से पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे. राज्य निवार्चन आयोग की तरफ से प्रदेश में मतदाता सूची का प्रकाशन 25 अप्रैल तक पूरा करना था. बताया जा रहा है कि यह काम भी लगभग पूरा हो चुका है.

परिसीमन का काम पूरा 
बता दें कि परिसीमन का काम पूरा हो चुका है, मध्य प्रदेश में 2 हजार नए वॉर्ड जुड़ें है, जिसके बाद मौजूदा समय में वॉर्ड की संख्या करीब 3 लाख 64 हजार है, जबकि परिसीमन से पहले यह संख्या 3 लाख 62 हजार थी. कई नई पंचायतें बनाई गई हैं, जबकि कुछ पंचायतों में बदलाव किया गया है. जिसके बाद प्रदेश में ग्राम पंचायतों की संख्या बढ़कर 22,985 हो गई है. 286 ग्राम पंचायत नए परिसीमन में शामिल की गई हैं.

अब पंचायतों का आरक्षण होगा 
मतदाता सूची पूरी होने के बाद पंचायतों का आरक्षण होगा. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग इस संबंध में जानकारी जुटा रहा है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे का फैसला लिया जाएगा. मार्च के महीने में आरक्षण और परिसीमन के मुद्दे पर चुनावों को निरस्त कर दिया गया था. खास बात यह है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का सर्वे पूरा हो गया है. बताया जा रहा है कि शिवराज सरकार  को प्रारंभिक रिपोर्ट भी सौंप दी गई है. राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए सरकार को प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है. प्रदेश के सभी जिलों के सर्वे के बाद आयोग ने रिपोर्ट तैयार की है. मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने ओबीसी वर्ग के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अध्यक्ष के आधार पर वोटर लिस्ट की पड़ताल के बाद रिपोर्ट तैयार की है. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर सबकुछ ठीक रहा था तो पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है. 

कोर्ट में भी प्रस्तुत हो सकती है रिपोर्ट
ओबीसी मतदाताओं को लेकर जो रिपोर्ट तैयार की गई है. वह रिपोर्ट कोर्ट भी प्रस्तुत हो सकती है, राज्य पिछड़ावर्ग निर्वाचन आयोग की सदस्य कृष्णा गौर ने बताया कि माइक्रो लेवल पर डाटा कलेक्ट किया गया है. ओबीसी वर्ग की जातियों की संख्या कितनी है. शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर कितना है इस आधार पर डाटा कलेक्ट करने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है.  इस रिपोर्ट को सरकार कोर्ट में भी प्रस्तुत कर सकती है. अब आयोग की सिफारिश के अनुसार सरकार आरक्षण सीमा तय करेगी. बता दें इस रिपोर्ट के साथ ही पंचायत चुनाव कराने के लिए राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के दो चरण पूरे कर लिए हैं. पहला पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन और ओबीसी वोटरों की मौजूदगी का डेटा तैयार है. मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की स्टडी के अनुसार ओबीसी वर्ग को 35% आरक्षण मिलने की बात कही है. 

बताया जा रहा है कि आरक्षण का काम जैसे ही पूरा होगा और वोटर्स लिस्ट का प्रकाशन का प्रकाशन होने के बाद पंचायत चुनाव का ऐलान कभी भी किया जा सकता है, हालांकि अब तक सरकार या राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से चुनाव को लेकर कोई स्पष्ट बात सामने नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बात के कयास लगने शुरू हो गए है कि अगर सबकुछ सही रहा तो जल्द ही पंचायत चुनाव का ऐलान हो सकता है. 

यहां अटक सकता है मामला 
हालांकि राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग अपने स्तर पर सभी तैयारियां पूरी कर चुका हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुका है कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता, यानि चुनाव ट्रिपल टेस्ट के नियमों से ही हो. ओबीसी के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करने के बाद ही चुनाव कराए जाए, अगर ऐसा होता है तो ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल पाएगा. लेकिन सरकार 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ ही चुनाव कराना चाहती है. ऐसे में इन दोनों मामलों के सुलझे बना चुनाव कराना मुश्किल भी हो सकता है.

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