पंचायत चुनाव के ऐलान से लेकर, रोक तक की पूरी कहानी! जानिए आसान भाषा में..
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पंचायत चुनाव के ऐलान से लेकर, रोक तक की पूरी कहानी! जानिए आसान भाषा में..

सुप्रीम कोर्ट ने मामला सुनने के बाद रोटेशन के बजाय आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को फटकार लगाई और ओबीसी सीटों पर चुनाव को स्टे कर दिया.

पंचायत चुनाव के ऐलान से लेकर, रोक तक की पूरी कहानी! जानिए आसान भाषा में..

नितिन गौतम/भोपालः मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर खासा विवाद देखने को मिला. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी सीटों पर चुनाव को स्टे कर दिया. हालांकि इसके बाद भी चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही कि चुनाव पर रोक लगेगी या नहीं! बहरहाल अब पंचायत चुनाव पर रोक लग गई है और निर्वाचन आयोग जल्द ही इसका आधिकारिक ऐलान कर सकता है. हालांकि अभी भी इस पूरे मुद्दे पर कई सवाल ऐसे हैं, जिन्हें लेकर लोगों के मन में सवाल हैं तो इस लेख में हमने इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है.

सरकार ने रद्द किया 2019 का परिसीमन

21 नवंबर 2021 को शिवराज सरकार ने पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अध्यादेश 2021 को मंजूरी दी थी. जिसके तहत सरकार ने साल 2019 के परिसीमन को रद्द करते हुए 2014 के परिसीमन के आधार पर पंचायत चुनाव कराने का फैसला किया. इसके चलते आरक्षण व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ. 

इस पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रणाली का पालन नहीं किया जा रहा है. जिसके खिलाफ कांग्रेस हाईकोर्ट पहुंच गई. हालांकि हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. जिस पर कांग्रेस नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. 

सुप्रीम कोर्ट ने मामला सुनने के बाद रोटेशन के बजाय आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को फटकार लगाई और ओबीसी सीटों पर चुनाव को स्टे कर दिया.

एमपी में ये है आरक्षण की मौजूदा स्थिति

बता दें कि एमपी में एसटी वर्ग के लिए 20 फीसदी, एससी वर्ग के लिए 16 फीसदी और ओबीसी वर्ग के लिए 14 फीसदी सीटें आरक्षित हैं लेकिन प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग के लिए 27 फीसदी सीटें आरक्षित कर दी थीं. जिस कारण कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी के पार चली गई थी. यही वजह रही कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी सीटों पर चुनाव पर रोक लगा दी.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में महाराष्ट्र मामले में दिए अपने आदेश का जिक्र किया. जिसके तहत आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट की तीनों शर्तों का पूरा होना जरूरी है. इन शर्तों के तहत राज्य में एक ओबीसी आयोग का गठन किया जाना चाहिए. आयोग राज्य में पिछड़े वर्ग की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन करे और उसके आधार पर आरक्षण की सीमा तय करे. साथ ही कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. 

इसके बाद सरकार और विपक्ष ने विधानसभा में संकल्प प्रस्ताव पारित किया, जिसके तहत ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत चुनाव कराने की बात कही गई और सर्वसम्मति से इसे पास भी कर दिया गया. 

अब सरकार कानूनी विशेषज्ञों की सलाह ले रही है. साथ ही ट्रिपल टेस्ट के नियमों को पूरा करने के लिए राज्य में ओबीसी वर्ग का डाटा भी तैयार करा रही है. इसके अलावा सरकार अन्य राज्यों में भी ट्रिपल टेस्ट की स्थिति की समीक्षा करा रही है. 

इसी बीच प्रदेश में ओमिक्रॉन की दस्तक और कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही चुनाव पर रोक की मांग होने लगी. खुद शिवराज सरकार के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने यह मांग की. जिसके बाद सरकार ने रविवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पंचायत चुनाव पर रोक का प्रस्ताव पास कर दिया. इस प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा गया. राज्यपाल ने भी प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है और अब निर्वाचन आयोग चुनाव पर रोक का आधिकारिक ऐलान करेगा. 

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