पंचायत के बाद अब नगरीय निकाय के पूर्व पदाधिकारियों ने की बड़ी मांग, शिवराज सरकार के सामने नई समस्या
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पंचायत के बाद अब नगरीय निकाय के पूर्व पदाधिकारियों ने की बड़ी मांग, शिवराज सरकार के सामने नई समस्या

नगर पालिका और नगर निगम के पूर्व पदाधिकारियों ने आज राजधानी भोपाल पहुंचकर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के बंगले पर धरना दिया. 

शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश

भोपालः मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त होने के बाद शिवराज सरकार ने पंचायतों के संचालन की जिम्मेदारी पूर्व पदाधिकारियों को दी है. क्योंकि इन पदाधिकारियों ने सरकार के उस फैसले का विरोध जताया था जिसमें उनसे वित्तीय अधिकार वापस ले लिए गए थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें उनके अधिकार वापस दे दिए थे. लेकिन अब सरकार के सामने एक और परेशानी खड़ी होती नजर आ रही है. 

निकाय के पूर्व पदाधिकारियों ने भी मांगे अधिकार 
पंचायतों में पूर्व पदाधिकारियों को वित्तीय अधिकार दिए जाने के बाद अब प्रदेश भर में नगर पालिका और नगर निगम के पूर्व पदाधिकारियों ने भी वित्तीय अधिकार वापस दिए जाने की मांग शुरू कर दी है. आज राजधानी भोपाल में प्रदेश के नगरीय निकायों के कई पदाधिकारी नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के बंगले पर पहुंचे और धरना दिया. उनकी मांग है कि जब प्रदेश में निकाय चुनाव नहीं हो रहे हैं तो उन्हें भी उनके वित्तीय अधिकार वापस दिए जाए. 

इस वजह से वापस मांगे अधिकार 
उज्जैन जिले की नागदा नगर पालिका के पूर्व नपा अध्यक्ष अशोक मालवीय ने जानकारी देते हुए बताया कि ''हम मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री से अनुरोध करने आये हैं कि जब ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक के पूर्व पदाधिकारियों को वित्तीय अधिकार दे दिए गए हैं, इसलिए शहरी क्षेत्रों में विकास के काम अवरुद्ध न हो, इसके लिए अब हमे भी ये अधिकार वापस दिए जाने चाहिए. ताकि विकास के कार्य सतत चलते रहे.''

मुख्यमंत्री से होगी चर्चा 
नगरीय निकायों के पूर्व पदाधिकारियों को उनके वित्तीय अधिकार वापस दिए जाने की मांग पर जब नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ''सभी लोगों ने अपना मांग पत्र दिया है. जिसके बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाएगा, उसके बाद उनकी मांगों पर मुख्यमंत्री ही फैसला लेंगे.''

ढाई साल से नहीं हुए नगरीय निकाय चुनाव 
दरअसल, मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव की तरह नगरीय निकाय चुनाव भी दो ढाई साल से ज्यादा वक्त से रुके हुए हैं. आरक्षण के मामले पर इन चुनावों पर भी स्टे लगा दिया गया है. ऐसे में अब तक प्रदेश में निकाय चुनाव भी आयोजित नहीं हो सके है. वहीं पंचायत चुनाव भी निरस्त हो गए हैं. 

एक साल के लिए मिले थे अधिकार 
दरअसल, मध्य प्रदेश में 2020 में नगरीय निकाय चुनाव आयोजित होने थे. लेकिन कोरोना के चलते चुनाव आयोजित नहीं हो सके. जिसके बाद सरकार ने एक साल के लिए सभी नगर निगम, नगरपालिका, नगर परिषद के वित्तीय अधिकार एक साल के लिए पूर्व के पदाधिकारियों को ही दे दिए थे. 

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