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मध्य प्रदेश के 5.72 लाख वोटरों पर मंडराया संकट! जल्द शुरू होगा मतदाता सूची का ‘SIR’

Voter List Revision in MP: मध्य प्रदेश के लगभग 6 लाख वोटरों पर जांच का खतरा मंडरा रहा है. चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार, प्रदेश में एसआईआर शुरू किया जाएगा. जिसके तहत उन वोटर्स की जांच की जाएगी, जिनके 2003 की मतदाता सूची में उनके माता पिता का रिकॉर्ड दर्ज नहीं था. इसके सत्यापन के लिए बीएलओ घर घर जाकर डॉक्यूमेंट्स चेक करेंगे.

मध्य प्रदेश के 5.72 लाख वोटरों पर मंडराया संकट!
मध्य प्रदेश के 5.72 लाख वोटरों पर मंडराया संकट!

MP Voter News: मध्य प्रदेश में इन दिनों लाखों वोर्टर्स पर खतरा मंडराने लगा है. क्योंकि चुनाव आयोग के निर्देशों पर मतदाता सूची का SIR यानि विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरूआत कर दी है. वहीं आयोग की तरफ से कहा गया है कि साल 2003 की मतदाता सूची से इस समय के मतदातों की जांच की जाए. यह भी कहा गया है कि जिन वोटरों के माता-पिता के नाम उस समय वोटर लिस्ट में शामिल नहीं थे, उनका सत्यापन किया जाएगा. इसके अलावा, उनकी पहचान के लिए जरूरी दस्तावेज भी मांगे जाएंगे. 

मिली जानकारी के मुताबिक, 22 साल बाद रीवा और मऊगंज जिले में मतदाताओं की पूरी स्थिति दोबारा जांची जा रही है. वहीं रिपोर्ट के मुताबिक, 5 लाख 72 हजार 250 वोटर्स जांच में शामिल होंगे. खासकर उन वोटर्स की जांच की जाएगी, जिनके पिता का नाम 2003 की लिस्ट में शामिल नहीं था. ऐसे वोटरों के दस्तावेज भी जांचे जाएंगे. इसके लिए जल्द ही 2014 बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाकर सर्वे करेंगे. वहीं रीवा जिले में 1463 और मऊगंज में 518 बूथ हैं. जहां पर एक बूथ पर 1200 से ज्यादा वोटर हैं, वहां नए बूथ बनाए जा रहे हैं, इससे दोनों जिलों के लगभग 350 बूथ और बढ़ जाएंगे. 

घर-घर भरेंगे फॉर्म
बता दें कि सर्वे के दौरान बीएलओ हर घर जाकर गणना फॉर्म (Enumeration Form) देंगे, जिसे हर वोटर को भरना होगा. कलेक्ट्रेट में हुई बैठक में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को इस प्रक्रिया की जानकारी दी गई है. जिन परिवारों के नाम 2003 की वोटर लिस्ट में दर्ज हैं, उन्हें वैसा ही रहने दिया जाएगा. लेकिन जिनके नाम 2003 के बाद जुड़े हैं, उन्हें अपनी पहचान के लिए 2 से 3 दस्तावेज देने होंगे. जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ है और नाम उस लिस्ट में नहीं था, उन्हें पिता से संबंध का प्रमाण पत्र और आयोग द्वारा तय किए गए 11 दस्तावेजों में से कोई एक देना होगा.

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दस्तावेज होंगे मान्य
वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि वोटरों की जांच के लिए पासपोर्ट, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र (ओबीसी, एससी, एसटी), शैक्षणिक प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकार पत्र, पारिवारिक रजिस्टर, भूमि या मकान का आवंटन पत्र, सरकारी या पेंशन से जुड़े कागजात, बैंक या एलआईसी के पुराने कागज और जन्म प्रमाण पत्र मान्य किए जाएंगे. वहीं आयोग की तरफ से कहा गया है कि बस ध्यान रखना यह होगा कि ये दस्तावेज 1 जुलाई 1987 से पहले जारी हुए हों. इन दस्तावेजों से मतदाता सूची की पहचान और पारिवारिक जुड़ाव की पुष्टि की जाएगी. 

कहां-कहां बढ़े वोटर्स
चुनाव आयोग को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 22 सालों में रीवा शहर विधानसभा में मतदाताओं की संख्या 11,239 घट गई है. वहीं ग्रामीण इलाकों में कई वोटर बढ़े हैं. बता दें कि त्योंथर में 37,287, मनगवां में 93,659, गुढ़ में 50,605, सिरमौर में 36,321, मऊगंज में 59,468, और देवतालाब में 78,308 नए मतदाता जुड़े हैं. साल 2008 में बनी नई सेमरिया विधानसभा में अभी 2,27,841 मतदाता दर्ज हैं. यह सर्वे आने वाले चुनावों से पहले मतदाता सूची को पूरी तरह अपडेट करने का बड़ा कदम माना जा रहा है.

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