बोरी का झंझट खत्म, एक बोतल यूरिया से हो जाएगा काम! जानिए क्या है Nano Urea?
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बोरी का झंझट खत्म, एक बोतल यूरिया से हो जाएगा काम! जानिए क्या है Nano Urea?

यूरिया के इस्तेमाल से नाइट्रस ऑक्साइड नामक ग्रीनहाउस गैस भी बनती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि होती है. 

फाइल फोटो

आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है. कृषि मंत्री ने कहा कि अब यूरिया की जगह नैनो यूरिया आ गया है. जिससे एक बोरी की जगह एक बोतल यूरिया से ही किसानों का काम हो जाया करेगा. कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि डीएपी खाद भी नैनों में आएगा, इससे किसानों को फायदा होगा. 

कमल पटेल ने कहा कि अब ड्रोन के जरिए फसलों पर दवाओं का छिड़काव हो सकेगा. यह सस्ता भी होगा और इससे काम भी तेजी से होगा. अनुसूचित जाति जनजातीय वर्ग के छोटे किसानों को मुफ्त बिजली देने का प्रावधान किया जाएगा. किसानों को स्थायी बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे और मुफ्त बिजली भी दी जाएगी. 

बता दें कि इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड (इफ्को- IFFCO) ने नैनो टेक्नोलॉजी पर आधारित नैनो यूरिया का निर्माण किया है. खेतों से हो रहे पोषक तत्वों के नुकसान से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को नैनो यूरिया के इस्तेमाल से कम किया जा सकता है. देश के किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में खेती में यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है और बीते कुछ सालों में इसमें काफी बढ़ोत्तरी हुई है.  

यूरिया के इस्तेमाल से नाइट्रस ऑक्साइड नामक ग्रीनहाउस गैस भी बनती है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि होती है. नैनो यूरिया लिक्विड होता है और यह उच्च पोषक तत्वों वाला अनोखा उर्वरक है, जो प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद कर सकता है. इफ्को के गुजरात के कलोल स्थित नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर में यह तकनीक विकसित की गई है और अब इफ्को की कई इकाईयों में नैनो यूरिया का निर्माण किया जा रहा है. 

ऐसी योजना है कि साल 2023 तक 1.37 करोड़ मीट्रिक टन यूरिया की जगह नैनो यूरिया की 32 करोड़ बोतलें ले लेंगी. इससे किसानों को भी काफी फायदा होगा. डीएपी खाद को भी नैनो रूप में लाने की तैयारी की जा रही है. नैनो रूप में आने के बाद किसानों के लिए इन खादों की ढुलाई का खर्चा बचेगा और पर्यावरण को भी इससे काफी फायदा होगा. 

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