Navratri 2021: मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध करके यहां की थी तपस्या, सैंकड़ों सालों से प्रज्वलित हैं दो अखंड ज्योति
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Navratri 2021: मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध करके यहां की थी तपस्या, सैंकड़ों सालों से प्रज्वलित हैं दो अखंड ज्योति

मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों को 1451 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. नवरात्रि (Navratri)  में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है.

Navratri 2021: मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध करके यहां की थी तपस्या, सैंकड़ों सालों से प्रज्वलित हैं दो अखंड ज्योति

पीतांबर जोशी/होशंगाबादः Navratri 2021: सीहोर जिले के विध्यांचल पर्वत की पहाड़ी पर मां विजयासन देवी का मंदिर है. इस मंदिर को सलकनपुर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर में मां के दर्शन के लिए सालभर भक्त आते हैं लेकिन नवरात्रि के पावन पर्व में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बहुत बढ़ जाती है. नवरात्रि के दौरान विजयासन मंदिर की छटा देखते ही बनती है.

ये है मान्यता
विजयासन मंदिर विंध्याचल पर्वत की पहाड़ी पर 4 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस मंदिर की प्रतिमा लगभग 500 साल पुरानी और स्वयंभू मानी जाती है. पौराणिक मान्यता है कि मां दुर्गा ने जब महिषासुर मर्दिनी अवतार लेकर रक्तबीज नामक राक्षस का संहार किया था. उसके बाद उन्होंने विंध्याचल पर्वत की पहाड़ी पर ही विजय मुद्रा में तपस्या की थी. इसलिए यहां बने मंदिर को विजयासन मंदिर के नाम से जाना जाता है. विजयासन मंदिर की बड़ी मान्यता है और इसे 52वां शक्तिपीठ माना जाता है. 

मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों को 1451 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. मंदिर के महंत पंडित प्रभुदयाल शर्मा ने बताया कि लगभग 500 सालों से इस मंदिर में दो अखंड ज्योति प्रज्वलित हैं. इनमें से एक नारियल के तेल और दूसरी घी से जलाई जाती है. मंदिर में इन अखंड ज्योति को साक्षात देवी मां के रूप में पूजा की जाती है. 

इस मंदिर में मान्यता है कि यहां बाल-गोपाल की मुराज पूरी होती हैं. इच्छा पूरी होने पर महिलाएं हाथ में ध्वजा लेकर पैदल ही मंदिर पहुंचकर माता के दर्शन करती हैं और आशीर्वाद लेती हैं. 

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