मालामाल किसान: आ गई गेहूं की क्रांतिकारी किस्में, 3 पानी में 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की बंपर पैदावार
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मालामाल किसान: आ गई गेहूं की क्रांतिकारी किस्में, 3 पानी में 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की बंपर पैदावार

खरीफ की फसल के बाद अब रबी की फसलों की बारी आने वाली है. रबी की प्रमुख फसल गेहूं है. देश में अलग-अलग राज्यों में गेहूं की खेती की जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश में बढ़िया किस्म का गेहूं का उत्पादन होता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने गेहूं की दो नई किस्में विकसित की हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: खरीफ की फसल के बाद अब रबी की फसलों की बारी आने वाली है. रबी की प्रमुख फसल गेहूं है. देश में अलग-अलग राज्यों में गेहूं की खेती की जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश में बढ़िया किस्म का गेहूं का उत्पादन होता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने गेहूं की दो नई किस्में विकसित की हैं. उनका दावा है कि इससे फसल दोगुना मुनाफा दे सकती है. हालांकि अभी यह किस्म बाजार में नहीं आई, लेकिन अगले साल तक आ सकती है. 

गेहूं अनुसंधान परिषद इंदौर द्वारा विकसित की गई गेहूं की दो नई प्रजातियों एचआई -8823 (पूसा प्रभात) और एचआई -1636 (पूसा वकुला) को किसानों के लिए जारी कर दिया है. गेहूं की ये दोनों किस्में अगले साल तक किसानों को बीज भंडार केंद्र पर मिलने लगेंगी. ये दोनों प्रजातियां उन्नत किस्म की हैं. 

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गेहूं अनुसंधान केंद्र वैज्ञानिकों के मुताबिक एचआई-8823 (पूसा प्रभात) में कम पानी की जरूरत होती है और यह फसल अच्छी देता है. इसका पौधा छोटा होता है. दो से तीन सिंचाई में पक जाता है. खास बात यह है कि सर्दियों में मावठा पड़ने यह जमीन पर गिरने से बच जाती है. जल्दी बुवाई के लिए यह किस्म उपयुक्त है. इसमें पोषक तत्वों ज़िंक, आयरन, कॉपर, विटामिन ए और प्रोटीन की मात्रा पर्याप्त होने से यह पोषण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.

3 महीने में तैयार, 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन
खास बात यह भी है कि HI-8823 सूखा और गर्मी में खराब नहीं होती है. इसकी बालियां समय पर पक जाती है. इस किस्म के गेहूं की फसल 105 से 138 दिन में तैयार हो जाती है. इसे दो सिंचाई के लंबे अंतराल (सवा महीने) में पकाया जा सकता है. जबकि उत्पादन के लिहाज से प्रति हेक्टेयर 40-42 क्विंटल है. कीट और रोग नहीं लगते हैं. इसका दाना दूसरी फसलों से ज्यादा बड़ा और भूरा-पीला होता है. ये किस्म मप्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के कोटा, उदयपुर संभाग और उप्र के झांसी संभाग के लिए जारी की गई हैं.

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लोकवन और सोना का नया विकल्प है HI-1636
गेहूं की दूसरी किस्म HI-1636 (पूसा वकुला) अधिक पानी वाली किस्म है. इसकी बोवनी सर्दियों में की जा सकती है. बुआई का उपयुक्त समय 7 से 25 नवंबर के बीच है. हालांकि इस किस्म 4-5 सिंचाई लगती है. शरबती और चंदौसी की तरह यह रोटी के लिए बढ़िया किस्म है, जो पोषक तत्वों आयरन, कॉपर, ज़िंक, प्रोटीन से भरपूर है. इसे पुरानी प्रजाति लोकवन और सोना का नया विकल्प माना जा सकता है. गेहूं की यह किस्म 118 दिन में पकती है. उत्पादन 60-65 क्विंटल/हेक्टेयर है. यह मप्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के कोटा, उदयपुर संभाग और उप्र के झांसी संभाग के लिए जारी हो सकती है.

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