OBC आरक्षण पर छिड़ा सियासी घमासान, ग्वालियर-चंबल में किसे मिलेगा साथ?
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OBC आरक्षण पर छिड़ा सियासी घमासान, ग्वालियर-चंबल में किसे मिलेगा साथ?

पंचायत और निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होने से ओबीसी वर्ग में नाराजगी देखी जा रही है. खास बात यह है ओबीसी वर्ग दोनों दलों के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं. 

OBC आरक्षण पर छिड़ा सियासी घमासान, ग्वालियर-चंबल में किसे मिलेगा साथ?

ग्वालियर। आखिरकार मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव का बिगुल बजने वाला है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग कभी भी चुनाव की घोषणा कर सकता है. खास बात यह है कि चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होंगे, लेकिन मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग की सबसे ज्यादा आबादी है, ऐसे में दोनों बीजेपी और कांग्रेस दोनों दल इस वर्ग को अपने साथ रखना चाहते हैं, जिसके चलते बीजेपी और कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग क 27 प्रतिशत के हिसाब से ही टिकट देने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि ओबीसी वोटर आखिर किसके साथ होगा ?. 

ग्वालियर-चंबल में शुरू हुई राजनीति 
दरअसल, पंचायत और निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होने से ओबीसी वर्ग में नाराजगी देखी जा रही है. खास बात यह है ओबीसी वर्ग दोनों दलों के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं. ग्वालियर चंबल संभाग मध्य प्रदेश का वो इलाका है, जहां चुनाव जातिगत समीकरणों के आधार पर लड़ा जाता है और राजनीतिक दल भी उसी आधार पर अपने प्रत्याशी चुनते हैं, ऐसे में बहुत आवश्यक हो जाता है कि आखिर आरक्षण न मिलने से नाराज पिछड़ा वर्ग किसके साथ जाएगा. यही वजह है कि इसको लेकर अंचल में राजनीति शुरू हो चुकी है. 

कांग्रेस ने साधा निशाना 
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि 2018 के चुनाव के पहले जिस तरीके से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक वर्ग विशेष को माई का लाल कहकर संबोधित किया था, उसका खामियाजा 2018 के चुनाव में बीजेपी को उठाना पड़ा था और अंचल से बीजेपी को पूरी तरीके से हार मिली थी, इसके साथ ही 2 अप्रैल के दंगों के चलते दलित भी बीजेपी से छिटक गया था और अब ओबीसी को आरक्षण दिलाने में नाकामयाब रही भाजपा से पिछड़ा वर्ग भी नाराज है और ऐसे में आने वाले पंचायत और नगरी निकाय चुनाव में इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ेगा. 

बीजेपी ने कांग्रेस को बताया जिम्मेदार 
वहीं मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू ना हो पाने के पीछे बीजेपी कांग्रेस को जिम्मेदार मान रही है, बीजेपी के प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे जब हाईकोर्ट में तथ्य रखने की बारी आई तो कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग का पक्ष मजबूती से नहीं रखा, यही कारण है कि उन्हें आरक्षण नहीं मिल पाया और यह बात प्रदेश का पिछड़ा वर्ग का वोटर अच्छी तरीके से जान चुका है और वह कांग्रेस के झांसे में नहीं आने वाला है. 

ओबीसी महासभा ने किया बंद का ऐलान 
वहीं राजनीतिक दलों के दावों बीच ओबीसी महासभा ने भी आगामी 21 मई को मध्य प्रदेश बंद का ऐलान कर दिया है, ओबीसी महासभा के पदाधिकारी धर्मेंद्र कुशवाहा का कहना है कि वह कांग्रेस और बीजेपी दोनों को देख चुके हैं, कोई भी राजनीतिक दल पिछड़ा वर्ग का भला नहीं सोचता है, केवल उनके वोट लेने का काम करता है यही कारण है पिछड़ा वर्ग अपनी लड़ाई अब खुद लड़ेगा वह समाज से एक एक रुपये इकट्ठा करके अपना वकील सुप्रीम कोर्ट में खुद खड़ा करेगा। ऐसे में अब देखना होगा कि आने वाले नगरी निकाय और ग्राम पंचायत के चुनाव में ओबीसी किसके साथ खड़ा नजर आता है. 

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