महात्मा गांधी पर सुप्रीम कोर्ट का वो आदेश जिसके कारण बुरे फंसे कालीचरण महाराज
Advertisement

महात्मा गांधी पर सुप्रीम कोर्ट का वो आदेश जिसके कारण बुरे फंसे कालीचरण महाराज

क्या राष्ट्रपिता को अपशब्द कह सकते हैं? इसके लिए हम आपको सुप्रीम कोर्ट के एक फैसला बताते हैं, जो साल 2015 का है.

महात्मा गांधी पर सुप्रीम कोर्ट का वो आदेश जिसके कारण बुरे फंसे कालीचरण महाराज

नई दिल्ली: साल 2020 में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किमी दूर भोजपुर शिवमंदिर प्रांगण से शिव तांडव स्त्रोत का मंत्रमुग्ध कर देने वाला एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ था. इस वीडियो ने जिस शख्स को पूरे देश में ख्याति दिलाई थी, वह कोई और नहीं बल्कि कालीभक्त कालीचरण महाराज थे. उन्होंने जिस अंदाज में शिव का पाठ किया उससे उनकी लोकप्रियता में काफी इजाफा हुआ था. वह मीडिया की सुर्खियां भी बने थे.

कालीचरण महाराज के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज, CG पुलिस ने लगाईं गंभीर धाराएं

अब इन्हीं महाराज का एक और वीडियो तेजी से वायरल हुआ. जो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित धर्म संसद का है. यहां इन्होंने अपने धर्म की धज्जियां तो उड़ाई ही साथ ही हमारे राष्ट्रपिता ''मोहनदास करमचंद गांधी'' जिन्हें प्यार से सभी बापू कहते हैं, को अशोभनीय शब्द कहे. कालीचरण ने धर्म संसद से बड़े ही गुस्सैल अंदाज में गांधी जी की हत्या को जायज ठहराते हुए नाथूराम गोडसे को खुलेमंच नमस्कार किया है. खास बात यह रही कि गोडसे को अभी तक इस तरह से खुलेआम नमस्कार करने की हिम्मत कोई नहीं कर पाया था, लेकिन शुरुआत कालीचरण ने कर दी.

क्या बापू को अपशब्द कह सकते हैं?
अब जब कालीचरण महाराज ने धर्म संसद का मंच से सार्वजनिक रूप से महात्मा गांधी को गाली दे दी. हालांकि इसी धर्म संसद में संत रामसुंदर दास ने कालीचरण के वक्तव्य का विरोध किया था. कहा था कि जिस मंच से बापू का अपमान होगा, गालियां दी जाएंगी, धर्म का मंच नहीं होगा. इसके नाराज होकर उन्होंने धर्म संसद से खुद को अलग कर लिया था. कालीचरण के बयान के बाद से पूरे देश में बवाल मचा. उनके खिलाफ केस दर्ज हो गया. और गुरुवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इस पर भी राजनीति चरम पर है. खैर, आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या राष्ट्रपिता को अपशब्द कह सकते हैं? इसके लिए हम आपको सुप्रीम कोर्ट के एक फैसला बताते हैं, जो साल 2015 का है.

हात्मा गांधी को अपशब्द पर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
देश की सर्वोच्च अदालत में 2015 को एक मराठी कविता में गांधी के बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किए जाने से संबंधित एक मामले की सुनवाई में कहा कि महात्मा गांधी को अपशब्द नहीं कह जा सकते हैं और न ही उनके चित्रण के दौरान अश्लील शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलात्मक स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रपिता को कहे गए अपशब्दों को सही नहीं ठहराया जा सकता.

आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल गलत
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले ने कहा था कि ऐतिहासिक महापुरुषों पर व्यंग्य, आलोचना और पैरोडी बनाना गलता नहीं है, लेकिन इसके लिए आपत्तिजनक या अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना गलत है. इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में शामिल नहीं किया जा सकता. जज दीपक मिश्रा और प्रफुल्ल सी पंत की बेंच ने कहा था कि 'विचारों की आजादी' और 'शब्दों की आजादी' में काफी अंतर है. अगर महात्मा गांधी के बारे में अपशब्द लिखते हैं तो वो मुद्दा भी है और अपराध की श्रेणी में भी आता है. अगर आपने गांधीजी के बारे में अपशब्द लिखे तो वहां आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार खत्म हो जाता है.

ये था मामला
महात्मा गांधी पर मराठी कवि वसंत दत्तात्रेय गुर्जर द्वारा लिखित कविता 1994 में प्रकाशित करने के आरोपी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये बात कही थी. प्रकाशक पर कथित रूप से अश्लील और अशिष्ट कविता प्रकाशित करने का आरोप है. कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था.

कालीचरण पर MP vs CG: नरोत्तम मिश्रा ने गिरफ्तारी पर उठाए सवाल, CM बघेल ने पूछा बड़ा सवाल

बेंच ने किए थे तीखे सवाल
बेंच ने इस मामले में सवाल किए थे कि, 'क्या महात्मा गांधी का सम्मान करना देश की सामूहिक जिम्मेदारी नहीं है? ये क्या है? आप एक आदर्श व्यक्ति का सम्मान नहीं कर सकते, पर उसे अश्लील शब्दों से नवाज सकते हैं, जिसने आपको कलात्मक स्वतंत्रता के रूप में ये आदर्श दिए हैं?'

WATCH LIVE TV

Trending news