bhagoria festival-मध्यप्रदेश में आदिवासी जनजातियों में कई तरह की परंपराएं हैं. ऐसी ही परंपरा के तहत पूरे प्रदेश में भगोरिया पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाता है. भगोरिया पर्व में हर साल हजारों लाखों की संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं और पर्व का आनंद लेते हैं. लेकिन इसी पर्व में होने वाली परंपराओं को लेकर कई तरह की अफवाहें भी फैलाईं जाती है.
बुरहानपुर जिले में हर साल धूमधाम से भगोरिया पर्व मनाया जाता है. लेकिन इसी भगोरिया पर्व में चली आ रही एक परंपरा का हर साल जिक्र होता है. इस परंपरा की सोशल मीडिया से लगाकर चौक चौराहों तक चर्चा की जाती है.
भगोरिया एक ऐसा मेला है जहां संगीत की धुन पर थिरकते हुए युवा अपने जीवन साथी की तलाश करते हैं और यहां कई लोगों का रिश्ता भी तय हो जाता है. मेले में लड़का-लड़की एक दूसरे को गुलाल लगाकर प्यार का इजहार करते हैं.
इस पर्व में अगर कोई लड़का किसी लड़की को पान खिला देता है, तो उनका रिश्ता तय हो जाता है. परिवार के सामने रिश्ता पक्का करने के लिए पान खिलाया जाता है. लेकिन यह पूरी सच्चाई नहीं बल्कि एक अफवाह है. मेले में इस तरह की कोई परंपरा नहीं है.
आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि इस पर्व को लेकर यह अफवाह सालों से चली आ रही है. समाज के लोगों ने इसे पूरी तरह से गलत बताया. लोगों का कहना है कि भगोरिया पर्व सिर्फ एक पारंपरिक आयोजन है, जहां लोग खुशियां मनाते हैं और नाच-गाना करते हैं.
समाज के बुजुर्गों का कहना है कि यह पर्व किसी भी तरह से विवाह तय करने का त्योहार नहीं है. आदिवासी समाज में शादी की परंपराएं बिल्कुल अलग होती हैं. जब किसी लड़का-लड़की का रिश्ता होता है, तो घर और गांव के बुजुर्ग और परिजन बैठक करते हैं. इसके बाद ही शादी तय होती है.
भगोरिया पर्व एक पारंपरिक मेले की तरह होता है, जहां लोग आनंद और उत्सव मनाते हैं. मेले में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. मेले में लोग अलग-अलग टोलियों में पहुंचते हैं. साथ ही ढोल-नगाड़ों की धुन पर जमकर थिरकते हैं.
भगोरिया का असली मकसद होली के त्योहार का आनंद लेना होता है. इस पर्व के दौरान लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और खुशियां बांटते हैं. समाज के लोगों का कहना है कि यह किसी तरह से विवाह तय करने का त्योहार नहीं है, ये सिर्फ एक अफवाह है.
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