MP Development News: मध्य प्रदेश में दिन-रात विकास के काम जारी हैं. सड़क से लेकर रेल तक हर तरफ विकास की बहार है. इसी क्रम में मोहन यादव कैबिनेट ने मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना को स्वीकृति दे दी है. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश में 39,900 किमी नई सड़कों का निर्माण किया जाएगा. सबसे खास बात यह है कि इस योजना के तहत 20,600 मजरे-टोलों को चिह्नित किया गया है, जिसे नई सड़कों से जोड़ा जाएगा.
दरअसल, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के 11 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में कैबिनेट आयोजित हुई. इसी दौरान मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट ने मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना को स्वीकृति दी.
मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना के तहत मध्य प्रदेश में 39,900 किमी सड़के बनाई जाएंगी. इनमें हजारों पुल-पुलिया भी शामिल हैं. जिसमें करीब 21,630 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
पुल वाले सड़कों के निर्माण होने से ग्रामीण इलाके के स्कूली बच्चों, गर्भवतियों को बारिश में आने-जाने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. क्योंकि अक्सर पुल और सड़क ना होने के चलते कुछ इलाकों में बारिश के सीजन में जब नदी नाले उफान पर होते हैं, तब आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
मजरे-टोलों को पक्की सड़क से जोड़ने का काम दो चरणों में होगा. पहला चरण 2025-26 से 2029-30 तक चलेगा. वहीं दूसरा चरण 2030-31 से 2034-35 तक चलेगा. इस दौरान प्रदेश भर में 30,900 किमी लंबी सड़कों का निर्माण किया जाएगा. यानी इन सड़कों के निर्माण में 10 साल का समय लगेगा.
गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में गांवों की आबादी तेजी से बढ़ी है. जिसके चलते पंचायत व गांवों का दायरा तेजी से बढ़ा है. यही वजह है कि कई मजरे और टोले अधोसंरचनात्मक विकास में पीछे रह गए हैं. ऐसे में इन इलाकों को सड़कों को जोड़ने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना में इसका प्रावधान किया है.
मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना के तहत जिन चोलों में 20 मकान और आबादी 100 से ज्यादा होगी. साथ ही क्षेत्रफल 6 हजार वर्ग मीटर या इससे अधिक होगा. उन सभी गांवों को इस योजना के तहत पक्की सड़कों से जोड़ा जाएगा. वर्तमान में प्रदेशभर में ऐसे 20,600 मजरे-टोले चिह्नित किए जा चुके हैं.
हर जिले में विकास के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा. रोडमैप तैयार करने के लिए जिला विकास सलाहकार समितियां बनाई जाएंगी. सबसे खास बात यह है कि हर समिति के अध्यक्ष सीएम होंगे, प्रभारी मंत्री उपाध्यक्ष रहेंगे. वहीं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को सदस्य बनाया जाएगा. क्षेत्रीय विशेषज्ञों की सलाह से इस रोडमैप को तैयार किया जाएगा. जिसके बाद इस प्रस्ताव को सरकार के पास भेजा जाएगा.
सोर्स- पत्रिका (नोट- यहां उपयोग में ली गई तस्वीरें Meta AI द्वारा जनरेटेड हैं. जो पूरी तरह काल्पनिक हैं. वास्विकता से इसका कोई लेना-देना नहीं है.)
ट्रेन्डिंग फोटोज़