Nalkheda Temple-मध्यप्रदेश कई ऐसे मंदिरों का गढ़ है, जिनके रहस्य आज तक भी अनसुलझे हैं. इन्ही अनसुलझे रहस्यों की वजह से हजारों-लाखों लोग यहां दर्शन करने और इन्हें जानने आते हैं. ऐसा ही एक मंदिर धार्मिक नगरी उज्जैन से कुछ दूरी पर स्थित है, जिसे लेकर कहा जाता है कि यहां पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. इसके साथ ही इस मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश करने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना पड़ता है.
आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थित प्राचीन नलखेड़ा नगर में माता बगलामुखी का अत्यंत ही प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में पूजा और यज्ञ करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है. यहां हवन करने से शत्रुओं पर विजयी प्राप्त होती है, बाधाएं भी दूर होती हैं.
मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. कह जाता है कि कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव जब विपत्ति में थे तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मां बगलामुखी के इस स्थान की उपासना करने करने के लिए कहा था.
भगवान श्रीकृष्ण की बात मानकर पांडवो ने इस त्रिगुण शक्ति स्वरूपा की आराधना की. उस वक्त मां की मूर्ति एक चबूतरे पर विराजित थी. पांडवों ने मां बगलामुखी की उपासना कर विपत्तियों से मुक्ति पाई और अपना खोया हुआ राज्य वापस पा लिया था.
इस मंदिर में माता बगलामुखी, माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं. मान्यता है कि यह प्रतिमाएं स्वयंभू हैं. यह प्राचीन मंदिर चारों ओर से शमशान से घिरा हुआ है, यही कारण है कि, यह तंत्र क्रियाओं का भी अपना अलग महत्व है.
माता बगलामुखी की प्राचीन मंदिर में यज्ञ और अनुष्ठानों के लिए राजनेताओं से लगाकर फिल्मी सितारे भी आते हैं. चुनाव के समय मंदिर राजनेताओं का तांता लगा रहता है. इसके अलावा सालभर मंदिर में लाखों भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं.
बता दें कि मंदिर में दर्शन करने से पहले कुछ शर्तों को पूरना करना पड़ता है. इस मंदिर में अमर्यादित कपड़े पहनकर जाना प्रतिबंधित है, छोटे वस्त्र जैसे हाफ पेंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस आदि पहनकर आना यहां मना है. अमर्यादित कपड़े पहनकर आने वाले भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाता है.
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