Cultural Heart Jabalpur-जबलपुर शहर जिसे "संस्कारधानी" कहा जाता है, मध्यप्रदेश का सांस्कृतिक और भौगोलिक दिल है. नर्मदा नदी के तट पर बसा यह शहर धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक दृष्टि से समृद्ध है. जबलपुर अपनी परंपराओं को भी समान रूप से सहेज कर आगे बढ़ रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जबलपुर को मध्यप्रदेश की संस्कारधानी क्यों कहा जाता है.
जबलपुर को यूं ही नहीं "मध्यप्रदेश का हृदय" कहा जाता. यह शहर न केवल भौगोलिक दृष्टि से राज्य के केंद्र में स्थित है, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. नर्मदा नदी की पवित्रता और गहराई से जुड़ी परंपराएं इस शहर को एक अलग पहचान देती हैं.
जबलपुर को "संस्कारधानी" कहे जाने के पीछे एक कहानी छिपी हुई है. जब प्रसिद्ध समाजसेवी आचार्य विनोबा भावे जबलपुर आए, तो वे यहां के लोगों के चरित्र, विचारों और आचरण से इतने प्रभावित हुए कि इसे "संस्कारों की राजधानी" की उपाधि दी. इस उपाधि ने जबलपुर को सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक बना दिया, जिसे आज लोग गर्व से अपनाते हैं.
नर्मदा नदी के तट पर बसा यह शहर धार्मिक दृष्टि से भी बहुत समृद्ध है. यहां हर साल हजारों श्रद्धालु नर्मदा परिक्रमा के लिए आते हैं. जबलपुर शहर के मंदिर, विशेष रूप से चौसठ योगिनी मंदिर और ग्वारीघाट जैसे स्थलों में आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस की जा सकती है.
भेड़ाघाट के धुआंधार जलप्रपात से लेकर संगमरमर की चट्टानों और बैलेंसिंग रॉक, मदन महल किला, रानी दुर्गावती की विरासत सब जबलपुर के जीवंत इतिहास को दर्शाते हैं. प्रकृति का यह संगम पर्यटकों को बार-बार अपनी और आकर्षित करता है.
जबलपुर न केवल आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि यह शिक्षा और कला का भी केंद्र रहा है. इसके साथ ही संगीत, नाट्यकला और साहित्य में भी जबलपुर की गहरी पकड़ है, जो इसे संस्कारों की धरती सिद्ध करती है.
किवदंतियों के अनुसार, जाबालि ऋषि की तपोभूमि होने के कारण इसे ‘जाबालिपुरम’ कहा जाता है. बाद में अंग्रजों ने इसे अपने शासनकाल में जब्बलपोर नाम दिया. वहीं कलचुरी और गौंड राजाओं के शासन करने की वजह से इसे ‘गौंडवाना’ और ‘त्रिपुरी’ भी कहा. बाद में यह शहर जबलपुर बन गया, जो संस्कारधानी के नाम से भी जाना जाता है.
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