Kalpavriksha Present in Anuppur: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं के द्वारा किए गए समुद्र मंथन के बाद 14 रत्न प्राप्त हुए थे. जिनमें से एक कल्पवृक्ष भी था. पुराणों में भी कल्पवृक्ष का उल्लेख है. ऐसी मान्यता है कि इस वृक्ष के नीचे जो कल्पना की जाती है वह पूरी होती है. इसीलिए इसका नाम कल्पवृक्ष पड़ा है. आज हम आपको मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले में स्थित एक ऐसे कल्प वृक्ष के बारे बताने जा रहे हैं, जिसके दर्शन और अपनी मनोकामनाओं को लेकर लोग देश-विदेश से आते हैं.
दरअसल, आज हम आपको जिस कल्पवृक्ष के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अनूपपुर जिले के कोइलरी पंचायत के शिवनी संगम गांव में स्थित है. यह कल्पवृक्ष अमरकंटक से लगभग 40 किलोमीटर दूर यह पवित्र वृक्ष नर्मदा तट पर स्थित है। यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी आस्था और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
सनातन धर्म में कल्पवृक्ष को स्वर्ग का वृक्ष कहा जाता है. इसका उल्लेख वेद और पुराणों में भी मिलता है. हिंदू मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्न निकले थे, जिसमें कल्पवृक्ष भी था.
कल्प वृक्ष को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि यह वृक्ष इच्छाओं की पूर्ति करने वाला है और इसकी छाया में बैठकर प्रार्थना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. यही कारण है कि दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं और इस पवित्र स्थान और कल्प वृक्ष का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस वृक्ष के संरक्षण को लेकर प्रशासन ने हाल ही में कुछ कार्य करवाए है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बरसात के दिनों में लोग खराब रास्ते की वजह से यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं.
इस पेड़ के नीचे बैठकर मन्नत मांगने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और इंसान के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह स्थान तीर्थयात्रियों और संतों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो यहां ध्यान और साधना करते हैं. नर्मदा परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु इस वृक्ष के दर्शन को अत्यंत शुभ मानते हैं.
कल्प वृक्ष एक पौराणिक व अद्भुत वृक्ष है, जिसे हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में दिव्य व इच्छापूर्ति करने वाला माना गया है. इसका उल्लेख वेदों, पुराणों और कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. यह वृक्ष केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका औषधीय, पर्यावरणीय और आर्थिक महत्व भी है. इसे जीवनदायी वृक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी पत्तियां, फल, फूल, छाल और जड़ें सभी उपयोगी होती हैं.
बताया जाता है कि नर्मदा तट पर स्थित कल्पवृक्ष हजारों वर्षों से स्थित है और इसे दिव्य और पवित्र माना जाता है. यह देवताओं द्वारा स्थापित किया गया है और इसकी छाया में ध्यान व तपस्या करने से आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त होती है. कुछ ग्रंथों के अनुसार, यह कल्पवृक्ष स्वयं भगवान शिव और नर्मदा मां के आशीर्वाद से उत्पन्न हुआ है. इसकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
नर्मदा नदी के तट पर स्थित होने के कारण कल्प वृक्ष का क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. हरियाली से घिरा यह स्थान सुकून और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है. स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह वृक्ष सदियों पुराना है और इसे दिव्य शक्ति प्राप्त है.
कल्प वृक्ष और इसके आसपास का क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है. प्रशासन और स्थानीय समुदाय इस ऐतिहासिक वृक्ष के संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसकी महिमा को महसूस कर सकें. अगर आप भी प्रकृति की गोद में आध्यात्मिक शांति और चमत्कारिक अनुभूति पाना चाहते हैं, तो एक बार शिवानी संगम गांव में स्थित कल्प वृक्ष की यात्रा जरूर करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी लोक आस्था, स्थानीय मान्यता और इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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