Tendu Fruit-मध्यप्रदेश के घने जंगल न केवल प्राकृतिक संपदा से भरपूर हैं, बल्कि ये प्रदेश की प्राचीन सभ्यता और आदिवासी जीवनशैली के भी साक्षी हैं. मध्यप्रदेश के ये जंगल गोंड, भील, बैगा, कोरकू जैसी जनजातियों का घर हैं, जिनकी सांस्कृतिक जड़ें प्रकृति से गहराई से जुड़ी हुई हैं. इन जंगलों में पाया जाने वाला तेंदू फल आदिवासी समुदाय के लिए वरदान है. तेंदू फल के साथ पत्ता भी आदिवासियों के लिए आमदनी का साधन है, चलिए आपको तेंदू फल के फायदे के बारे में बताते हैं.
गर्मियों के मौसम में जैसे-जैसे तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, जंगल में तेंदू फल पकने लगे हैं. तेंदू का फल खाने में जितना अच्छा लगता है, उतना ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. यह फल गर्मी के मौसम में पकता है और स्वाद में मीठा होता है.
मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में पैदा होने वाले तेंदू फल में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो पाचन क्रिया को सुधारता है. गर्मी के इस मौसम में बाजारों में तेंदू फल की भारी आवक है.
गर्मी के मौसम में इस फल को लोग ज्यादा से ज्यादा खाना पसंद करते हैं, क्योंकि तेदूं फल में कई पोषक तत्व होते हैं. यह पेट साफ रखने में मदद करता है और आंतों को स्वस्थ रखता है, साथ ही कब्ज से भी राहत दिलाता है.
तेंदू फल को एक तरह से ग्रामीणों का एप्पल भी बोल सकते हैं, क्योंकि इस फल की खासियत एप्पल की तरह ही होती है. इसकी तुलना एप्पल से करना कुछ गलत नहीं है. यह शरीर को कई तरह के फायदे पहुंचाता है. गर्मियों में इसकी डिमांड काफी होती है.
यह फल स्थानीय आदिवासी समुदायों की आहार श्रृंखला और संस्कृति का अभिन्न अंग है. गौंड, बैगा, भील और कोरकू जैसे आदिवासी समुदाय तेंदू के फल और पत्तों का उपयोग न सिर्फ अपने भोजन में करते हैं, बल्कि यह उनकी आजीविका का भी महत्वपूर्ण स्रोत है.
तेंदू फल को बाजारों में बेचकर आदिवासी समुदाय के लोग अपनी आजीविका चलाते हैं साथ ही कमाई भी करते हैं. तेंदू फल के अलावा तेंदू पत्ता भी बाजारों में बेचा जाता है. यह पत्ता मुख्यतः बीड़ी बनाने में इस्तेमाल होता है और भारत में इसकी बहुत अधिक मांग है.
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