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मध्य प्रदेश में बकरी की इन नस्लों का करें पालन, गाय-भैंस से ज्यादा होगी कमाई, मांस-दूध की रहती है डिमांड

Goat Farming Tips: आजकल बकरी पालन का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. लोग इसकी तरफ खूब दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं, क्योंकि इसमें खर्चा कम आता है और मुनाफा अच्छा होता है. खास बात यह है कि इसे कम जगह में भी शुरू किया जा सकता है. अगर बात करें मध्य प्रदेश की, तो यहां कुछ खास नस्ल की बकरियों का पालन ज्यादा होता है. ये नस्लें दूध और मीट दोनों के लिए बढ़िया मानी जाती हैं. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं. 

 

संगमनेरी

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संगमनेरी

संगमनेरी नस्ल की बकरी महाराष्ट्र के पुणे, नासिक, सोलापुर और धुले इलाके में बड़े पैमाने पर इसका पालन किया जाता है. वहीं पंजाब-हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार के अलावा मध्य प्रदेश में भी यह पाई जाती है. इसका दूध दवा बनाने के काम आता है, साथ ही इसका मांस भी गुणकारी होता है, इसलिए बाजार में इनकी मांग अधिक रहती है. इसी वजह से संगमनेरी बकरियों की कीमत भी अधिक होती है.

बेरारी

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बेरारी

मध्य प्रदेश के निमाड़ जिले में बेरारी नस्ल की बकरी का पालन बड़े पैमाने पर किया जाता है. यह नस्ल अपनी प्रजनन क्षमता, दूध और मांस उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. बेरारी बकरियों का कोट काला या हल्के काले रंग का होता है और इनके सींग सीधे ऊपर की ओर बढ़ते हैं, जो पीछे की ओर मुड़े होते हैं. इस नस्ल की बकरी पहली बार बच्चे देने की उम्र 10 से 11 महीने होती है, जिससे ये किसानों के लिए लाभकारी साबित होती हैं.

सिरोही

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सिरोही

मध्य प्रदेश में सिरोही नस्ल की बकरियां मांस और दूध दोनों के लिए पाई जाती हैं. ये बकरियां रोजाना 1 से 2 लीटर दूध देती हैं और बकरा 50-60 किलोग्राम, जबकि बकरी 30-40 किलोग्राम तक का हो सकती है. सिरोही बकरियां 5 महीने में जुड़वां बच्चों को जन्म देती हैं और गर्मी-ठंड दोनों मौसम में अच्छी तरह से जी सकती हैं. इनकी दूध और मांस उत्पादन क्षमता किसानों के लिए फायदेमंद है.

 

जमुनापारी

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जमुनापारी

तोतापरी नाम से जानी जाने वाली जमुनापारी नस्ल की बकरी, यूपी के इटावा, मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में ज्यादा पाई जाती हैं. इसके शरीर पर सफेद या पीले भूरे रंग का होता है, गर्दन और चेहरे पर हल्के भूरे रंग के धब्बे होते हैं. इस नस्ल की खासियत एक उभरी हुई नाक की रेखा है जिसे 'रोमन नाक' कहा जाता है. 

बीटल

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बीटल

बीटल बकरी, डेयरी नस्ल के नाम से मशहूर है. जो पंजाब और हरियाणा में तो पाई ही जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश में भी इसका पालन किया जाता है. खासकर उन इलाकों में जहां जमुनापारी नस्ल पाली जाती है, वहां बीटल बकरी भी देखने को मिलती है. यह नस्ल दिखने में जमुनापारी से थोड़ी छोटी होती है, लेकिन दूध देने के मामले में किसी से कम नहीं है. इसका वजन करीब 40 से 50 किलो तक होता है और इसे दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है.

बरबरी

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बरबरी

अगर आप बकरी पालन शुरू करने की सोच रहे हैं तो बरबरी नस्ल की बकरी एक बढ़िया विकल्प हो सकती है. ये बकरी सिर्फ 11 महीने में बच्चे को जन्म दे देती है, जबकि बाकी नस्लों में ये समय 18 से 23 महीने तक होता है. बरबरी बकरी एक बार में 3 से 5 बच्चों को जन्म देने में सक्षम होती है और सबसे खास बात ये है कि ये साल में दो बार बच्चा दे सकती है. यही वजह है कि किसान इस नस्ल को तेजी से अपना रहे हैं.

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