Dhan Ka Katora Of MP: धान की बात हो और छत्तीसगढ़ का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं मध्य प्रदेश में भी एक जिला है जिसे धान का कटोरा कहा जाता है? आइए जानते हैं मध्य प्रदेश के किस जिले को धान का कटोरा कहते हैं.
भले ही मध्य प्रदेश को ‘सोया प्रदेश’ कहा जाता है, लेकिन बालाघाट जिले को ‘धान का कटोरा’ माना जाता है. इसका मुख्य कारण है कि यहां धान की फसल बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां की उपजाऊ मिट्टी और कृषि के लिए उपयुक्त जलवायु, इसे धान के उत्पादन में हमेशा आगे रखती है.
बालाघाट में खेती पारंपरिक तरीकों से की जाती है, जिसमें ज्योतिष का भी अहम स्थान माना जाता है. मिली जानकारी के अनुसार, यहां के किसान विशेष मुहूर्त में बीज बोते हैं, जो उनकी खेती को शुभ और लाभकारी मानते हैं. यही कारण है कि बालाघाट को कृषि कर्मण अवार्ड लगातार मिलते रहे हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं यानि, तब किसान अपने खेतों में हल चलाते हैं. इसके बाद शुक्ल पक्ष में बीज रोपण के लिए विशेष समय माना जाता है. (नोटः इसकी जानकारी आप अपने नजदीकी ज्योतिष से ले सकते हैं.)
वैसै देखा जाए तो बालाघाट जिला कृषि बाहुल्य है, यहां के किसान ज्यादातर धान की फसल उगाते हैं. कई बार तो यहां अधिक बारिश होने के कारण धान की फसल खराब भी हो जाती है. इसलिए यहां के जो किसान हैं, वह परंपरागत तरीकों से खेती करते हैं.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, बालाघाट की मिट्टी बहुत उपजाऊ मानी जाती है और यहां की खेती को ‘सोना उगलने वाली’ कहा जाता है. इस क्षेत्र में धान की पैदावार बहुत ज्यादा होती है, जिससे बालाघाट का नाम प्रदेश में सबसे आगे आता है. किसान हर साल अच्छा उत्पादन कर बढ़िया मुनाफा कमाते हैं.
मानसून के आने से पहले ही बालाघाट के किसान अब धान की बुवाई के लिए तैयार हैं. यहां की मिट्टी और पारंपरिक खेती के तरीके हमेशा अच्छे परिणाम देती हैं और यही कारण है कि बालाघाट को मध्य प्रदेश का ‘धान का कटोरा’ माना जाता है.
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