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पंजाब ही नहीं MP में भी है 'जलियांवाला बाग', खून से लाल हो गई थी ये नदी

MP Jalianwala Bagh-देश की आजादी के लिए कई बलिदानियों ने प्राणों की आहुति दी है. देश के लिए बलिदान देने वाले महापुरुषों का सम्मान आज भी किया जाता है. मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड अंचल भी बलिदानियों का गढ़ रहा है, यहां की धरती से कई स्वतंत्रता सेनानी निकले हैं. बुंदेलखंड में भी एक जलियांवाला बाग हैं, जिसके बारे शायद बहुत कम लोगों को जानकारी होगी. चलिए जानते हैं. 

 

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मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के चरण पादुका सिंहपुर में एक ऐसा घटनाक्रम हुआ था जिसके बाद से इस जगह को बुंदेलखंड का जलियांवाला बाग कहा जाने लगा. यहां अंग्रेजी हुकुमत ने निर्दोष ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया था. 

 

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14 जनवरी 1931 को अंग्रेजी शासन के राजनीतिक एजेंट लार्ड फिशर ने उर्मिल नदी किनारे निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवा दीं. छतरपुर जिले के चरण पादुका सिंहपुर में उर्मिल नदी के किनारे ग्रामीण लोग अंग्रेजी शासन द्वारा लगाए गए अत्यधिक करों के खिलाफ सभा कर रहे थे.

 

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अंग्रेजों के बढ़ते कर और अत्याचार के खिलाफ आम सभा कर रहे ग्रामीणों को रोकने के लिए नौगांव छावनी से कर्नल फिशर अपनी फौज लेकर वहां पहुंचा. इसके बाद फिशर ने निहत्थे ग्रामीणों पर गोली चलवा दी. 

 

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गोलियों की बौछार से उर्मिल नदी का पानी लाल हो गया और सैंकड़ों निर्दोष ग्रामीण घायल हो गए तो कई क्रांतिकारियों की मौके पर ही मौत हो गई. इस दिन कितने लोग मारे गए इसकी सही जानकारी आज तक किसी को नहीं मिली.

 

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कहा जाता है कि उस रात घर में कोई सोया नहीं था. शहीद हुए कुछ क्रांतकारियों के नाम चरण पादुका में अंकित किए गए हैं. आज भी इन शहीदों को हर साल श्रद्धांजलि दी जाती है. 

 

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चरण पादुका का सही नाम सिंहपुर है. जनश्रुति है वनवास के दौरान उर्मिल नदी किनारे सिंहपुर से भगवान राम निकले थे. यहां एक पत्थर पर उनके चरणों के निशान हैं. इससे इस स्थान का नाम चरण पादुका हुआ.

 

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