MP Holi Special 2025: मध्य प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरह से रंगों का त्योहार होली मनाने के परंपरा है. यहां होली सिर्फ एक दिन की नहीं होती बल्कि कई दिनों तक खेली जाती है. देश भर में जहां 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को होली मनाई जाएगी. वहीं, एमपी के शहर इंदौर में यही होली 19 मार्च यानी रंग पंचमी तक खेली जाएगी, जहां कौन अपना और कौन पराया ये मायने नहीं रखता, मायने अगर कुछ रखता है तो ये कि शहर में गुजरने वाला हर एक इंसान रंगों से रंगा होना चाहिए और इसी परंपरा को एमपी वासी प्यार से 'गेर' के नाम से बुलाते हैं.
होली कब है, कब है होली.... जहां 13 मार्च को होलिका दहन और 14 मार्च को होली खेली जानी है. वहीं मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की होली 13 मार्च से शुरू होकर रंग पंचमी तक चलेगी. इंदौर की इस होली को 'गेर' कहा जाता है जो पूरे देशभर में मशहूर है. एमपी में गेर खेलने की परंपरा सालों पुरानी है जहां पूरा शहर एक साथ रंग उड़ाते और खेलते नजर आता है. पूरा शहर सड़कों पर होता है.
19 मार्च रंग पंचमी के दिन गेर की खूब धूम देखने को मिलेगी. बच्चे, बड़े हो या महिला सबके जुबान पर एक ही बात रहती है कि 'बुरा ना मानो होली है!' लेकिन सदियों से चली आ रही इस परंपार के बारे में क्या आप जानते है? जिस गेर को आप बड़े धूम-धाम के साथ मनाते हैं उसका इतिहास काफी दिलचस्प माना जाता है.
गेर खेलने का मतलब होता है कि पराए या गैर को रंग लगाकर अपना बना लेना. यानी शहर के हर एक आदमी को रंगों से रंग कर अपनत्व दिखाते हुए दोस्ती का हाथ बढ़ाना.
गेर का इतिहास इंदौर से निकलकर आज देशभर में मशहूर है. बताया जाता है कि कई साल पहले रंग पंचमी वाले दिन इंदौर के टोरी कार्नर में रंग से भरा कढ़ाव भरकर सड़क पर ही रख दिया जाता था, इसके बाद जो भी यहां से गुजरता है उसे स्थानीय होली खेलने वाले घेरकर रंग से भरे कढ़ाव में डाल देते थे. इस दौरान होली खेलते-खेलते लोग टोरी कार्नर से एकत्र होकर एक दूसरे पर रंग डालते हुए राजवाड़ा तक जाया करते थे.
आज भी रंगपंचमी के दिन गुलाल और फाग की मस्ती में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग शहर के राजवाड़ा पहुंचते हैं. इनमें बच्चों और महिलाओं की भी भीड़ देखने को मिलती है. सुबह 11 बजे से ही शहर के अलग-अलग इलाकों में फाग यात्रा निकलनी शुरू हो जाती है जिसमें लोग पानी का टेंकर, गुलाल अबीर लिए आसमान में उड़ाते हुए दिखाई देते हैं. इस बार भी 19 मार्च को इंदौर में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा.
गेर निकालने की परंपरा एमपी के इंदौर, सागर, ग्वालियर, सतना, भोपाल, रीवा, उज्जैन में काफी देखने को मिलती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि गेर का मजा तभी पूरा होता है जब आप निकली यात्रा में डीजे और ढोल के नगाड़ो पर नाचते हुए आसमान में रंग उड़ाते हुए चलते हैं.
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