Bhimkund Mp: मध्य प्रदेश के छतरपुर में स्थित भीमकुंड आज भी अनसुलझे राज की पहेली बना हुआ है. इस रहस्यमयी कुंड का राज दिनों दिन और गहरा होते जा रहा है. लेकिन इस पहेलियो की गुत्थी उतनी ही उलझती जा रही है. ये कुंड इतना गहरा है कि आज भी कुछ लोग इसे पाताल लोक का द्वार समझते हैं. अब इस बात में गितनी गहराई है और कितनी सच्चाई ये हम आपको बताएंगे....
छतरपुर से 80 किलोमीटर दूर और खजुराहो से 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस कुदरत के करिश्मे को कोई नहीं समझ पाया है. यहां तक कि इन घटनाओं पर तर्क देने वाले वैज्ञानिक भी भौगोलिक चमत्कार पर चुप्पी साधे दिखाई देते हैं.
जी हां हम बात कर रहे हैं एमपी में स्थित भीमकुंड की जिसका नाता महाभारत काल से जोड़ा जाता है. नीले रंग का पानी होने की वजह से इसे नीलकुंड के नाम से भी लोग पहचानते हैं.
कहते हैं कि आज तक किसी ने भी इस कुंड की गहराई को नहीं नाप पाया है. जिसके वजह से इसकी गहराई को लेकर कई बड़े बड़े दावे भी किए जाते हैं. कुछ का मानना है कि भीमकुंड के नीचे ही पाताल लोक का रास्ता निकलता है.
जब हम भीमकुंड का नाम पढ़ते हैं तो हमें महाभारत काल की याद आती है. बताया जाता है कि प्राचीन समय में सभी पांडव पांचाल की राजकुमारी द्रौपदी के साथ यहां से गुजर रहे थे. तभी पांचाली को प्यास लगी. पांडु पुत्रों ने आसपास देखा पर कोई जल स्त्रोत नहीं मिला. तब भीम ने अपने 1000 हाथियों के बल से गदा उठाकर जमीन पर एक प्रहार किया. जिसकी वजह से जमीन में पाताल तक एक गड्ढा हो गया. और इसी वजह से इस कुंड का नाम भीम के नाम के साथ जुड़ गया.
स्थानीय लोग बताते हैं कि भीमकुंड के पानी में कई चमत्कारी गुण पाए जाते हैं. जिसकी वजह से लोग अपनी श्रद्धा अनुसार यहां पर स्नान करने पहुंचते हैं. ये कुंड चर्मरोग ठीक करने और अपनी स्वच्छता के लिए जाना जाता है.
इस कुंड की गहराई का रहस्य इतना गहरा है कि वैज्ञानिकों ने गोताखोरों को इसके लिए भेजा था. 200 फीट तक नीचे जाने के बाद भी उन्हें इसका कोई दूसरा छोर नहीं मिला. तेज लहरों की वजह से बिना कोई जवाब लिए उन्हें वापस आना पड़ा.
एमपी का भीमकुंड आज भी अपनी गहराई के लिए आम जनता से लेकर वैज्ञीनिकों को खुली चुनौती देता है. इस नीले पानी का रहस्य इतना गहरा होता जा रहा कि कई सालों से एक पहेली ही बनी हुई है लेकिन पहेली को सुलझा पाना किसी के बस का नहीं!
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