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धोती कुर्ता पहन लड़ी थी 1971 की जंग, पाक को याद दिलाई थी नानी, जानें मेजर शर्मा की अनोखी कहानी

India-Pak War 1965, 1971 : भारत पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बाद युद्ध जैसी स्थिति बन गई है. बॉडर पर तैनात भारतीय सेना के जाबाज पूरे दमखम के साथ पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं. ऐसे में हर कोई भारतीय सेनाबलों की वीरता को सलाम कर उनके जज्बे को बढ़ा रहा है और वीरता के पुराने किस्से भी याद कर रहा है.ऐसा ही एक कहानी है उस वीरपुत्र की जिन्होंने वर्दी नहीं बल्कि धोती और कुर्ते में 1965 और 1971 के युद्ध में भाग लिया और पाकिस्तान को मुंह तोड़ जबाव दिया था. ये कहानी है मध्य प्रदेश के सागर के रिटायर मेजर एस सी शर्मा की, पढ़िए...

क्लर्क से सिपाही की कहानी

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क्लर्क से सिपाही की कहानी

सागर के रिटायर मेजर एस सी शर्मा वैसे तो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के इटावा के रहने वाले हैं लेकिन सेना से रिटायर होने के बाद से सागर में ही बस गए. वे 1962 में सेना में क्लर्क के रूप में भर्ती हुए थे लेकिन दफ्तर में बैठकर टाइप राइटर चलाने से ज्यादा उन्हें एक सैनिक के तौर पर युद्ध भूमि में जाना पसंद था. वे देश की रक्षा के लिए पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 के युद्ध में शामिल हुए थे. रिटायर मेजर बताते हैं कि 1965 के युद्ध के समय भारत सैन्य शक्ति के मामले में कमजोर था, लेकिन फिर भी सेना के जोश और जज्बे के चलते पाकिस्तान को धूल चटाई थी.

 

कुर्ता पायजामा पहन लड़ा युद्ध

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कुर्ता पायजामा पहन लड़ा युद्ध

मेजर आगे बताते हैं कि "1965 युद्ध से सबक लेकर 1971 तक हम कई मामलों में मजबूत हुए और पाकिस्तान को 2 टुकड़ों में बांट दिया था. 1971 के युद्ध में हमारी टुकड़ी सेना की वर्दी में नहीं, बल्कि हम लोग कुर्ता, पायजामा पहनकर कंधे पर फावड़ा लेकर मुक्ति वाहनी की मदद को पहुंचे थे और पाकिस्तान के 2 टुकड़े कर दिए थे. अब भारत इतना मजबूत है कि अगर पाकिस्तान आज भारत से सीधा युद्ध लड़ने के बारे में सोचेगा, तो चार दिन भी नहीं टिक पाएगा.

 

ऑपरेशन हिली

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ऑपरेशन हिली

एक मीडिया हाउस से चर्चा में मेजर ने बताया कि "1971 युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिक ज्यादा होने के कारण हमें काफी परेशानी भी उठानी पड़ी थी और हमारे कई साथियों की जान भी गई थी. हमनें 4 अफसर, 2 जेसीओ और 94 सैनिकों को इस लड़ाई में खोया था. आज भी सबसे भयंकर युद्ध के तौर पर 'ऑपरेशन हिली' दर्ज है, जो दुनिया के सैन्य इतिहास का एक बड़ा ऑपरेशन माना जाता है. जिसमें हमने हिस्सा लेकर कामयाबी हासिल की."

पाक सैनिकों को चटाई धूल

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पाक सैनिकों को चटाई धूल

मेजर शर्मा बताते हैं कि "1965 में जब पाकिस्तान से युद्ध हुआ, उस समय टेक्नोलॉजी भी इतनी एडवांस नहीं थी. हमारे पास पुराने हथियार और पुराने गोला बारूद थे. जो सैन्य उपकरण थे, वो भी काफी सफल नहीं होते थे. इसलिए उस युद्ध में काफी परेशानी हुई थी. हमारे हथियारों के सटीक निशाने नहीं थे. लेकिन 1971 का युद्ध आते-आते हम हथियारों, टैक्नोलॉजी और कई मामलों में मजबूत हो चुके थे. इसका नतीजा ये हुआ कि 1971 के युद्ध में हमने 93 हजार पाक सैनिकों को धूल चटाई थी.

 

ऑपरेशन सिंदूर

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ऑपरेशन सिंदूर

मेजर शर्मा ने ऑपरेशन सिंदूर की वाख्या करते हुए बताया कि हुआ है, "वो हमारी सेना की ताकत के हिसाब से मामूली काम है. आज हमारी सेना दुनिया की चौथे नंबर की शक्तिशाली सेना है. हमारे पास आधुनिक हथियार, आधुनिक वॉर टेक्नोलॉजी और बहुत कुछ है. अगर आज युद्ध के हालात बनते हैं, तो पाकिस्तान जैसे देश को हम ज्यादा से ज्यादा 4 दिन में काबू कर लेंगे."

वीर जवानों का दृण हौसला

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वीर जवानों का दृण हौसला

रिटायर मेजर एस सी शर्मा की ये कहानी ना सिर्फ उनके जज्बे और बुलंद हौसले को दर्शाती है बल्कि 1965 और 1971 के युद्ध में उन सभी वीर जवानों के दृण हौसलों को भी सलाम करती है जिनकी वजह से आज भारत सीना ताने दुशमनों पर वार करने को तैयार है और जिनकी वजह से आज भारत का हर एक आम नागरिक सुरक्षित अपने घरों पर मौजूद है.

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