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सांची ही नहीं इस जिले में भी है सम्राट अशोक का इतिहास, प्रकृति की गोद में हैं प्राचीन गुफाएं

saru maru caves-मध्यप्रदेश में कई तरह की प्राचीन और ऐतिहासक इमारतें मौजूद हैं, जिनका इतिहास बेहद ही खास है. सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद मध्यप्रदेश में कई स्थानों पर बौद्ध मठ और स्तूपों का निर्माण कराया था.  जिनमें से सांची का स्तूप विश्व धरोहरों में शामिल हैं. बौद्ध मठ और बौद्ध कालीन गुफाएं सीहोर जिले में भी स्थित हैं. यहां सम्राट अशोक का शिलालेख आज भी मौजूद है.

 

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सीहोर जिले की बुधनी तहसली के पान गुराडिया के पास सारू-मारू गुफाएं मौजूद हैं. यह जगह एक बौद्ध मठ परिसर और बौद्ध कालानी गुफाओं का परातात्विक स्थल है. यह गुफाएं करीब 50 एकड़ में फैली हुईं है. बुधनी तहसील का प्रचीन नाम बुद्ध नगरी हुआ करता था. 

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इस परिसर में 50 से भी ज्यादा प्राचीन बौद्ध कालीन स्तूप हैं. सारू-मारू के स्तूपों को लेकर कहा जाता है कि यह बुद्ध के शिष्य सारिपुत्र और मौद्गल्यायन के अस्थि अवशेषों पर बनाएं गए हैं. यहीं पर सम्राट अशोक का पांचवां शिलालेख मौजूद है.

 

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सन् 1976 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसकी खोज की थी. स्तूपों के साथ यहां बौद्ध भिक्षओं की प्राकृतिक गुफाएं भी हैं. इन गुफाओं में कई चित्र, स्वास्तिक, त्रिरत्न, कलश पाए गए हैं. वहीं मुख्य गुफा में सम्राट अशोक के 2 शिलालेख पाए गए हैं. इनमें से एक शिलालेख पर अशोक के बेटे महेंद्र की यात्रा का उल्लेख है.

 

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इन शिलालेखों को ब्राम्ही लिपि में लिखा गया है. महास्तूप और लघु स्तूपों के अवशेष यहां मौजूद हैं. स्थानीय सादे पत्थर से बने इन स्तूपों में बौद्ध भिक्षुओं के अस्थियों के अवशेष सुरक्षित हैं. 

 

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सारू-मारू गुफाओं के प्रवेश द्वार पर बने मुख्य स्तूप की गोलाई लगभग 30 फीट है. इस स्तूप तक पहुंचने के लिए दोनों तरफ पत्थरों की सीढियां बनाई गई हैं. वहीं स्तूप के चारों तरफ प्रदक्षिणा पथ है जिस पर चलकर स्तूप की परिक्रमा की जाती है.

 

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इस परिसर में मिले यष्टि लेख को सांची के पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित है. इसी परिसर में बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए आवास और साधना स्थल बनाए गए थे. यह खूबसूरत परिसर प्रकृति की गोद में मौजूद है, जहां कई झरने और खूबसूरत जगहे हैं. जंगल के बीच में होने के कारण यह जगह बेहद की खास बन जाती है.