Old Names of Cities-मध्य प्रदेश सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है, जो इतिहास, संस्कृति, प्रकृति और स्वाद का अद्भुत संगम है. इंदौर के चटपटे खाने से लेकर पचमढ़ी की वादियों तक, ग्वालियर के किलों से लेकर खजुराहो की कलात्मकता तक यहां हर अनुभव दिल को छू जाता है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश के कई शहरों के नाम पहले कुछ और हुआ करते थे? इन पुराने नामों में छुपे हैं कई ऐतिहासिक और रोचक पहलू, जो एमपी की गहराई को और भी दिलचस्प बनाते हैं
ऐतिहासिक विरासत के समेटे हुए ग्वालियर शहर का पुराना नाम गोपाचल हुआ करता था. ग्वालियर में 7वीं शताब्दी तक पहाड़ी जंगल था जहां घास के मैदान थे. जिनमें पशुपालक अपनी गाय-भैंसों को चराने आते थे.
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का नाम पहले भोपाल नहीं था. बल्कि इसका पहला नाम ‘भूपाल’ था जिसकी स्थापना तत्कालीन राजा भूपाल शाह ने की थी. वहीं मध्य प्रदेश सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार आज के ‘भोपाल’ नाम से पहले इसका नाम ‘भोजपाल’ था जो परमार शासक राजा भोज ने भोज बांध के नाम पर रखा था.
उज्जैन का पुराना नाम अवंतिका था. उज्जैन के पहले यह नगरी को अवंतिका नाम से जाना जाता था. ऐसा भी बताते है के पहले यह अवंतिका कि राजधानी थी.तब इसका नाम अवंतिकापुरी था.
जबलपुर का नाम महर्षि जबाली के नाम पर पड़ा. कहा जाता है कि जबाली ऋषि ने कई वर्षों तक यहां तपस्या की थी. इसलिए जबलपुर के महर्षि जबाली की तपोभूमि कहा जाता है. समय के साथ जबालीपुर या जबालीपुरम का नाम जबलपुर में बदल गया. पुराने शिलालेखों में जबलपुर का नाम जबालीपुर लिखा पाया गया है.
इंदौर का पुराना नाम इंद्रपुरी था, जो इंद्रेश्वर मंदिर के नाम पर रखा गया था. 1741 में, कंपेल के जमींदारों ने इंद्रेश्वर मंदिर बनवाया था, जिसके नाम पर बस्ती का नाम इंद्रपुर, फिर इंदूर व इंडोर और अंत में इंदौर पड़ा. इंद्रपुरी नाम शहर के इंद्रेश्वर मंदिर के नाम पर रखा गया था.
सीहोर का पुराना नाम सिद्धपुर है. सीवन नदी से प्राप्त एक शिलालेख के अनुसार इसका नाम सिद्धपुर पड़ा. सीहोर के आसपास बड़ी संख्या में शेर, सिंह, चीते, सियार आदि थे. इस कारण इस शहर का नाम शेर, सेर, सियर, सिओर और फिर बाद में सीहोर हो गया.
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