Rangteras celebration-रतलाम में गुरुवार. सड़कों पर गुरुवार को अचानक निकले गेर को देखकर हर कोई हैरान रह गया. सड़कों पर निकलो लोगों में बुजुर्ग, युवा, बच्चे और महिलाएं इस जुलूस में बड़ी संख्या में नजर आए. होली के 13 बाद निकले इस जुलूस के पीछे एक पुरानी परंपरा है, जिसका निर्वाहन कई वर्षों से किया जाता है. चलिए जानते हैं
रतलाम में होली के 13 दिनों के बाद रंगतेरस मनाई जाती है. इस दिन सड़कों पर कुमावत समाज के लोगों द्वारा गेर का आयोजन किया जाता है, इस दिन वर्षों से चली आ रही परंपरा का समाज के लोग निर्वहन करते हैं.
रतलाम में कुमावत समाज वर्षो पुरानी एक परंपरा का निर्वहन आज भी कर रहा है. इस परंपरा के चलते होली के 13 दीन बाद ये लोग रंगतेरस मनाते हैं. रंगतेरस में समाज के लोग रंग और गुलाल उड़ाकर जश्न मनाते हैं.
दिन में समाज के लोग रंग-गुलाल के साथ एक दूसरे के घर जाकर उन्हें रंग लगाते हैं. तो वहीं रात में पुरुष चट्टियां का आयोजन करते हैं और गरबे की धुन पर घंटो तक नाचते हैं.
वहीं रंगतेरस के दिन समाज के वरिष्ठ लोग उन परिवारों में भी जाते हैं, जहां पिछले एक साल में किसी का निधन हुआ है. वहां जाकर वे परिजनों को रंग डालकर गेर में शामिल करते हैं.
ऐसा नहीं है कि कुमावत समाज होली और रंगपंचमी नहीं मनाता है. सभी समाज के जैसे ये समाज भी जमकर जश्न मनाता है. लेकिन कुमावत समाज की संस्कृति में रंगतेरस का बहुत महत्व है. ऐसे में होली और रंगपंचमी के साथ तेरस भी मनाई जाती है.
होली के 13 दिन बाद रंगतेरस के रूप मे मनाने वाले इस पर्व पर कुमावत समाज अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है, और इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए हर साल बड़ा आयोजन करता है.
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