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नहीं सुलझा मैहर धाम का रहस्य! इस मंदिर में आरती के बाद आल्हा-ऊदल करते हैं पूजा? वैज्ञानिक भी हैरान

Maihar Temple MP: दुनिया में न जाने कितने एक से बढ़कर एक रहस्य छिपे हुए हैं. इन रहस्यों को सुलझाने की कोशिश कई अरसों से की जा रही है. लेकिन कोई संतोषजनक जवाब हाथ नहीं लगता है. मध्य प्रदेश के मैहर मंदिर में भी कुछ इसी तरह के रहस्य अक्सर सुर्खियों में छाए रहते हैं, जिनका जवाब न तो आम जनता के पास है और न ही वैज्ञानिकों के पास है. ये रहस्यमयी कहानियां केवल सालों-सालों, पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती चली जा रही हैं.

 

माता शारदा मंदिर

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माता शारदा मंदिर

मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित माता शारदा के बहुप्रसिद्ध मंदिर के दर्शन करने तो हजारों लोग जाते हैं. माता की भक्ती में लीन भक्तगण मां से यही कामना करते हैं कि उनकी सारी विपत्तियां दूर हो जाए, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो मंदिर से जुड़ी रहस्यमयी किस्सों को देखने पहुंचते हैं.

 

निधिवन वृंदावन

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निधिवन वृंदावन

आपने वृंदावन में स्थित निधिवन का नाम तो सुना ही होगा. कैसे वहां भगवान श्री कृष्ण रात होने के बाद आते हैं और राधा जी और सभी गोपियों के साथ भव्य रासलीला करते हैं.  इस कहानी के पीछे का राज आज भी केवल एक रहस्य है, जिसे कोई नहीं सुलझा पाया है. ठीक इसी प्रकार की एक कहानी मैहर धाम में भी कही जाती है.

मैहर धाम का रहस्य

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मैहर धाम का रहस्य

बताया जाता है कि मैहर की माता शारदा के मंदिर में शाम की आरती के बाद जब मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता और सभी पुजारी बाहर आ जाते हैं. तब भी मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा करने की आवाज आती रहती है. रोज मंदिर के पट खुलते हैं, तब भी कुछ न कुछ रहस्यमयी अजूबे के दर्शन होते हैं. कई बार मंदिर के अंदर से अद्भुत सी खूशबू आती है और कई बार मां की प्रतिमा के ऊपर अद्भुत फूल चढ़ा मिलता है. लेकिन कैसे ?

चमत्कारी अजूबों

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चमत्कारी अजूबों

कुछ लोगों का मानना है कि मां शारदा के भक्त आल्हा की वजह से हमें इन सब चमत्कारी अजूबों का दर्शन होता है. शाम की आरती और सुबह मां की प्रतिमा पर चढ़ाए गए फूलों के पीछे आल्हा की भक्ती छिपी है. लेकिन आखिर कौन थे आल्हा?

कौन थे आल्हा?

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कौन थे आल्हा?

बताते हैं कि आल्हा और ऊदल दो भाई थे, ये बुंदेलखंड के महोबा के वीर योद्धा और परमार के सामंत थे. आल्हा के ऊपर जगनिक नाम के एक कवि ने आल्हा खण्ड नाम की एक काव्य रचना भी की है, जिसमें वीरो की गाथा लिखी हुई है. इसी रचना में आल्हा के बारे में वर्णन किया गया है. 

मां की आरती

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मां की आरती

आल्हा मां शारदा के इतने बड़े भक्त है, कि सबसे पहले उनकी पूजा-अर्चना आल्हा द्वारा ही की जाती है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि आज भी ब्रह्म मुहूर्त में आल्हा मां का पहला श्रृंगार और पूजन करते हैं. 

 

वैज्ञानिक भी असफल

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वैज्ञानिक भी असफल

अब ये सारी प्रक्रियाएं कैसे होती हैं. इन बातों में कितनी सच्चाई है और क्या सच में आल्हा आज भी मां के दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. इन बातों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत कोशिश की, पर संतोषजनक कुछ हाथ नहीं लगा है. इसलिए मंदिर में हो रही ये गतिविधियां आज भी एक रहस्य बनी हुई है.

 

डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सभी बातें मीडिया रिपोर्ट्स और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं.  इसकी विषय सामग्री और काल्पनिक चित्रण का ZEE MP-CG समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता है.

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