कहते हैं जिस घर बेटियां जन्म लेती हैं वहां सौभाग्य भी जन्म लेता है. बिटिया पापा की परि तो मंमी की बेस्ट फ्रेंड होती है. घर की रौनक तो बेटी से ही होती है, लेकिन जिन्हें बेटी का प्यार नहीं मिल पाता, वो सहारा बनते हैं उन बेटियों का जिन्हें भगवान ने मां बाप का प्यार नहीं दिया होता.
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ग्वालियर: कहते हैं जिस घर बेटियां जन्म लेती हैं वहां सौभाग्य भी जन्म लेता है. बिटिया पापा की परि तो मंमी की बेस्ट फ्रेंड होती है. घर की रौनक तो बेटी से ही होती है, लेकिन जिन्हें बेटी का प्यार नहीं मिल पाता, वो सहारा बनते हैं उन बेटियों का जिन्हें भगवान ने मां बाप का प्यार नहीं दिया होता. ऐसे ही कई लोग ग्वालियर की संस्थाओं से बेटियों को गोद लेकर अपने घर को स्वर्ग बना रहे हैं.
45 में 27 बेटियां
ग्वालियर में ऐसे बच्चों का ध्यान रखने वाली दो संस्थाएं संचालित हैं. यहां से पिछले तीन साल में 45 बच्चे गोद लिए गए. इनमें से 27 बच्चियां हैं. ग्वालियर से अनाथ बच्चों को गोद लेने मुंबई, पुणे, चेन्नई, बेंगलुरु के दंपती अधिक संख्या में आए. यूरोप के एक दंपती ने भी ग्वालियर से बच्ची को गोद लिया है. इसी तरह जम्मू-कश्मीर का एक दंपती भी ग्वालियर से बच्चे को गोद ले चुका है.
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0-5 साल तक के बच्चे लिए गए गोद
महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ने बताया कि शहर में मातृछाया और बालाजी नाम से दो संस्थाएं अनाथ बच्चों का ध्यान रखती हैं. पिछले तीन साल में दोनों संस्थाओं से कुल 45 बच्चे गोद दिए गए हैं. इनमें 27 बच्चियां शामिल हैं. गोद लिए गए बच्चे 0 से 5 वर्ष तक के हैं. बच्चों को गोद लेने वाले अधिकतर दंपती का प्रोफेशन कॉर्पोरेट सेक्टर से संबद्ध रहा है. मुंबई, पुणे, बेंगलुरु के यह दंपती आईटी, मैनेजमेंट कंपनियों में कार्यरत हैं.
ऐसे यहां पहुंचते हैं बच्चे
इन संस्थाओं में आने वाले ज्यादातर लावारिश हालत मे मिलते हैं. इन बच्चों के हालातों के बारे इन दो मामलों से जाना जा सकता है. दो साल पहले कुछ दिन की एक बच्ची को ऑटो ड्राइवर को सुनसान इलाके में मिली थी. उसे बच्ची दक्षिण भारत के एक प्रतिष्ठित परिवार ने गोद ले लिया. वहीं एक बच्ची जयारोग्य अस्पताल परिसर की झाड़ियों में मिली थी. जिसका एक माह इलाज चला था. उसे मुंबई के एक डॉक्टर दंपत्ति ने गोद लिया है.
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ज्यादा लोग गोद ले रहे बेटी
महिला बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी राजीव सिंह ने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि अनाथ बच्चों को सही परिवार मिले. यह बेहद सुखद स्थिति है कि लोगों का रुझान अब बेटियों को गोद लेने में बढ़ रहा है. हमारे पास जो भी दंपती संपर्क करते हैं, वे पहले बेटियों को ही गोद लेने की बात करते हैं.
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समाज में आ रहा सुधार
आज जब दिनभर बच्ची और महिलाओं के खिलाफ अपराध के ही मामले सुनने को मिलते रहते हैं. ऐसे में इस तरह की खबरे सुकून देने वाली हैं. अब समाज में बेटी को लेकर एक बार फिर चाह बढ़ रही है. ग्वालियर से गोद लिए गए बच्चों का आंकड़ा इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं.
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