RSS Foundation Day: विजयादशमी के दिन आरएसएस का 96वां स्थापना दिवस, मध्यप्रदेश की राजनीति पर रहा है गहरा प्रभाव
आज विजयादशमी (Dussehra) के दिन राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) का 96वां स्थापना दिवस है. इस मौके पर नागपुर में हो रहे RSS के कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अपने संबोधन से एक बार फिर नई उर्जा भर दी.
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RSS Foundation Day: आज विजयादशमी (Dussehra) के दिन राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) का 96वां स्थापना दिवस है. इस मौके पर नागपुर में हो रहे RSS के कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अपने संबोधन से एक बार फिर नई उर्जा भर दी. अपने संबोधन में उन्होंने जोर दिया कि देश की युवा पीढ़ी को भारत के इतिहास का ज्ञान होना चाहिए ताकि उससे सीखकर आगे बढ़ा जा सके. साथ ही उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के लिए हमारे पूर्वजों ने कड़ा संघर्ष किया है. आजादी के लिए लंबा संघर्ष रहा है. नई पीढ़ी को आजादी के हुए विभाजन का इतिहास भी जानना चाहिए.
मध्यप्रदेश चुनावों से पहले मोहन भागवत के दौरे
मध्यप्रदेश में उपचुनाव होने हैं और इससे ठीक पहले कांग्रेस बीजेपी पर हिंदुत्व और दलित कार्ड खेलने का आरोप लगा रही है. हिंदुत्व वोट बैंक की बात करें तो प्रदेश में आरएसएस का हमेशा से गहरा प्रभाव रहा है. मध्य प्रदेश में संघ का दखल लगातार बढ़ने की चर्चा हमेशा रही हैं. साल 2020 में भी उपचुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के लगातार कई दौरे हुए थे, जिसने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी थी. ऐसे में प्रदेश में फिर से संघ और उपचुनाव को लेकर चर्चा शुरू हुई है.
संघ के स्वयंसेवकों ने ही की थी बीजेपी की स्थापना
आरएसएस का नाम आते ही ये साफ हो जाता है कि हिंदू समाज को उसके धर्म और संस्कृति के आधार पर शक्तिशाली बनाने का काम इसी संगठन ने किया है. बाद में संघ के स्वयंसेवकों ने ही बीजेपी की स्थापना की थी. हर साल विजयादशमी के दिन संघ स्थापना के साथ ही शस्त्र पूजन की परम्परा भी है. कभी 25 स्वयंसेवकों से शुरू हुआ संघ आज विशाल संगठन के रूप में स्थापित है.
आरएसएस का इतिहास
दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना केशव बलराम हेडगेवार ने की थी. भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के साथ 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की गई थी. 2025 में ये संगठन 100 साल पूरे कर लेगा. संघ ने अपने लंबे सफर में कईदौर देखे. वो दिन भी देखे जब तीन बार संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या तक को संघ से जोड़कर देखा गया.
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