सतना के लाल ने अफ्रीका में गाड़ा झंडा, माउंट किलिमंजारो को किया फतह
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सतना के लाल ने अफ्रीका में गाड़ा झंडा, माउंट किलिमंजारो को किया फतह

प्रदेश सरकार ने 2015 में रत्नेश पांडेय को प्रथम आधिकारिक पर्वतारोही घोषित किया था.

फाइल फोटो

संजय लोहानी/सतनाः दुनिया भर में पहाड़ों की महत्ता और उनकी खुबसूरती को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 11 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया जाता है. आज अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के पहले आधिकारिक पर्वतारोही रत्नेश पाण्डेय एक बार फिर सुर्खियों में हैं और इस बार वजह है अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह करना. 

रत्नेश बताते हैं कि 14 जुलाई 2021 को उन्होंने 14,980 फीट ऊंचे माउंट मेरु और 21 जुलाई 2021 को 19,340 फीट ऊंचे माउंट किलिमंजारो को चढ़ने का नया रिकार्ड बनाया है. धरती से 19,340 फीट की उंचाई पर सफलतापूर्वक यात्रा करने में 8 दिन का समय लगा. इस एक्सपीडिशन की शुरुआत इन्दौर जिला खेल अधिकारी जोसेफ बक्सला ने 6 जुलाई को झंडा दिखाकर की थी. जिसके बाद किलिमंजारो शिखर पर रत्नेश पाण्डेय ने खेल और युवा कल्याण विभाग का झंडा फहराया।

प्रदेश सरकार ने 2015 में रत्नेश पांडेय को प्रथम आधिकारिक पर्वतारोही घोषित किया था. रत्नेश पांडेय ने सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतेह करने के बाद वहां पर राष्ट्रगान गाया था. रत्नेश अब तक 7 देशों में भारत, नेपाल, रूस, ईरान, किर्गिस्तान, इटली, स्विटजरलैंड की चोटियों को फतह कर चुके हैं.  इसमें एवरेस्ट के अलावा माउंट एवरेस्ट, पीक 6265 मीटर, दमावंड, सबलन, लाबूचे, स्टोक कांगरी, फ्रेंडशिप पीक समेत दूसरे पर्वतों की सफलता पूर्वक चढ़ाई पूरी की थी। रत्नेश ने ना सिर्फ खुद इन चोटियों को फतह किया है बल्कि दुनिया के पहले किन्नरों के दल को पर्वतारोहण कराकर हिमालय की चोटी फतेह कराने का श्रेय भी अपने नाम किया.

रत्नेश पांडेय को सिर्फ ट्रैकिंग का ही शौक नहीं है, इसके अलावा रत्नेश ने बाइक राइडिंग का विश्व स्तरीय खिताब भी अपने नाम किया है. दोनों हाथ छोड़कर मोटर साइकिल चलाना खतरे से खाली नहीं होता है, लेकिन रत्नेश ने 32.3 किलोमीटर दोनों हाथ छोड़कर मोटर साइकिल चलाई है. बिना रुके बाइक के जरिए 175 सर्किल बनाए है और पीछे की ओर मुंह करके 14 किलोमीटर मोटर साइकिल चलाई है. ये तीनों करतब दिखाकर उन्होंने तीन विश्व रिकार्ड अपने नाम किए हैं।

तरह-तरह के करतब दिखाने के साथ ही रत्नेश ने दरियादिली की भी मिशाल पेश की. कोरोना काल में रोजाना 500 मवेशियों को भोजन कराने पर रत्नेश फाउंडेशन को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स मिला. रत्नेश पाण्डेय भारत, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, फ्रांस, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका और नेपाल के संयुक्त तत्वावधान में गठित व एशियन ट्रेकिंग कंपनी नेपाल की संरक्षण में नेपाल के माउंट एवरेस्ट में ट्रैकिंग करने के इरादे से काठमांडू पहुंचे थे.

2015 में आए भूकंप की वजह एवरेस्ट चढ़ने के सपने को पूरा नहीं कर पाए रत्नेश तूफान में फंस गए थे, जिसके बाद उनका अपने दल से संपर्क टूट गया। तीन दिन बाद नेपाल सेना के हेलीकॉप्टर ने रत्नेश को सुरक्षित बेस कैंप पहुंचाया. अपने सपने को पूरा करने की जिद लिए रत्नेश ने अपना हौसला नहीं खोया और दोबारा प्रयास के बाद जीत हासिल की.

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