Narsinghpur Singhpur village: मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर का सिंगपुर गांव शिक्षा के क्षेत्र में अनूठी मिसाल है. यहां की लगभग पूरी आबादी शिक्षक वर्ग से जुड़ी हुई है. कई परिवारों में तो पीढ़ी दर पीढ़ी शिक्षण का पेशा चलता आ रहा है. इस गांव में शिक्षा का स्तर इतना ऊंचा है कि लोग इसे अपना लक्ष्य मानते हैं. शिक्षा दिवस पर इस गांव की कहानी देश के लिए प्रेरणादायी है.


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इस गांव में 500 से ज्यादा शिक्षक
5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां की आबादी करीब 5000 है और करीब 500 शिक्षक हैं. नरसिंहपुर का एक छोटा सा गांव है सिंगपुर जहां शिक्षण पेशे का स्तर इतना ऊंचा है कि लोग 4-5 पीढ़ियों से इसे निभाते आ रहे हैं. कहा जाता है कि इस गांव में अगर आप हवा में पत्थर फेंकेंगे तो वो किसी शिक्षक पर ही गिरेगा. एक मोटे आंकड़े के तौर पर इस गांव में 500 से ज्यादा शिक्षक हैं. इस छोटे से गांव सिंगपुर में शिक्षा का महत्व अलग ही है. ये गांव एक अनूठी मिसाल पेश करता है. यहां हर व्यक्ति का लक्ष्य शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देना है.


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पीढ़ियों से चली आ रही है ये परंपरा
इस गांव के शिक्षकों की कहानियां काफी प्रेरणादायक हैं. गांव के लोगों का कहना है कि वे चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी भी इसी राह पर आगे बढ़े और शिक्षा के माध्यम से समाज को नई दिशा दे. गांव की आबादी करीब 5500 है, जिसमें से करीब 500 शिक्षक इसी गांव में हैं और कई परिवार चार-पांच पीढ़ियों से शिक्षा के पेशे से जुड़े हुए हैं.


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हर घर में है एक शिक्षक!
बता दें कि इस गांव में लगभग हर घर में एक शिक्षक है और कई परिवार चार-पांच पीढ़ियों से शिक्षा के पेशे से जुड़े हुए हैं. शिक्षक दिवस के मौके पर इस गांव की शिक्षा परंपरा और योगदान की विशेष सराहना की जाती है. यहां के लोग शिक्षा को बहुत महत्व देते हैं और उनकी यह अनूठी परंपरा शिक्षा के क्षेत्र में सिंगपुर को एक खास पहचान दिलाती है. 5 सितंबर को सिंगपुर की यह कहानी शिक्षकों की भूमिका और उनके योगदान को दर्शाती है.


रिपोर्ट- दिनेश विश्वकर्मा