छिंदवाड़ा में तीन जीनियस शिक्षकों ने मिलकर एक सरकारी स्कूल की काया ही पलट डाली. आज यह सरकारी स्कूल बड़े-बड़े निजी स्कूलों को मात दे रहा है. सरकारी स्कूलों की बदतर तस्वीर से इस स्कूल की तस्वीर हटकर है.
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सचिन गुप्ता/छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में तीन जीनियस शिक्षकों ने मिलकर एक सरकारी स्कूल की काया ही पलट डाली. आज यह सरकारी स्कूल बड़े-बड़े निजी स्कूलों को मात दे रहा है. सरकारी स्कूलों की बदतर तस्वीर से इस स्कूल की तस्वीर हटकर है.
मरानाला संकुल अंतर्गत आदिवासी गांव में स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल के तीन शिक्षकों ने अपनी मेहनत व लगन से स्कूल को संवार दिया है. इस स्कूल को डिजिटल स्कूल बनाकर इसे जिले में अलग पहचान दी है. इन जीनियस शिक्षकों ने एक दिसबंर 2016 से हर महीने अपनी सैलरी का एक प्रतिशत स्कूल को बदलने में दिया है. सिर्फ पठन-पाठन को बेहतर ही नहीं बल्कि स्कूल की सूरत बदलने के लिए यह शिक्षक अबतक अपनी सैलरी से हजारों रुपये खर्च कर चुके हैं.
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प्रभारी प्रधानपाठक अनिल कोठेकर सहित अन्य उनकी दो शिक्षक साथी ने यह सराहनीय काम किया है. अब इस स्कूल के छात्र ब्लैक -बोर्ड या कॉपी किताबों से ही नहीं बल्कि प्रोजेक्टर, स्मार्ट टीवी, लाउडस्पीकर, लाइब्रेरी, लैपटॉप और टेबलेट के सहारे पढ़ाई करते हैं.
इस स्कूल में किताबी शिक्षा के साथ-साथ डिजिटल शिक्षा दी जा रही है, जिसे देखने विकासखंड के अलावा जिले के अन्य शिक्षक भी आते हैं. इस स्कूल की डीपीसी, बीआरसी, तहसीलदार, जनपद सीईओ समेत अन्य अधिकारी ने भी प्रशंसा कर चुके हैं.
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