गेहूं के बाद खाली खेतों में उगाएं पिपरमेंट, कम मेहनत में होगी तगड़ी कमाई, जानें पूरी प्रक्रिया
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गेहूं के बाद खाली खेतों में उगाएं पिपरमेंट, कम मेहनत में होगी तगड़ी कमाई, जानें पूरी प्रक्रिया

Agriculture News: गर्मियों के दिनों में सरसों और गेहूं की फसल कटने के बाद, किसान पिपरमेंट की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं. आइए आज हम आपको इसकी खेती के बारे में विस्तार से बताते हैं. 

 

गेहूं के बाद खाली खेतों में उगाएं पिपरमेंट
गेहूं के बाद खाली खेतों में उगाएं पिपरमेंट

Peppermint Farming Tips:  मार्च-अप्रैल आते ही खेतों में हलचल थम जाती है. सरसों और गेहूं की फसल कट चुकी होती है, कुछ किसान तो धान की तैयारी में जुट जाते हैं. लेकिन कई खेत ऐसे भी होते हैं जो खाली छोड़ दिए जाते हैं. सोचकर कि अब बारिश के बाद ही काम शुरू होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं, कुछ किसान ऐसे भी हैं जो इस खाली समय में भी खेत से मोटी कमाई कर रहे हैं? आइए आज हम आपको ऐसी खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप गर्मी के मौसम में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. 

छतरपुर जिले के किसान भी पिपरमेंट की खेती कर रहे हैं. आपको बता दें कि पिपरमेंट की खेती गर्मी के सीजन में सबसे फायदेमंद मानी जाती है. हालांकि बरसात के समय भी इसे लगाया जा सकता है, क्योंकि उस वक्त भी वातावरण में गर्मी बनी रहती है. लेकिन सर्दियों में इस फसल की गुंजाइश नहीं रहती, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है और ठंड में ये फसल नहीं जमती है.

75-90 दिन में तैयार

मिली जानकारी के अनुसार, ये फसल करीब 75 से 90 दिन में तैयार हो जाती है. खास बात ये है कि एक बार पौधा काटने के बाद उसका निचला हिस्सा खेत में ही छोड़ दिया जाता है और जब खेत को जोता जाता है, तो वही जड़ें दोबारा पौधों में बदल जाती हैं. इससे बीज की बचत भी होती है और अगली फसल के लिए तैयारी आसान हो जाती है. हालांकि, हर साल नया बीज तैयार करना भी जरूरी होता है, ताकि फसल की गुणवत्ता बनी रहे.

काली मिट्टी परफेक्ट

मिट्टी की बात करें तो पिपरमेंट की खेती बलुई लाल मिट्टी और काली मिट्टी, दोनों में की जा सकती है, लेकिन काली मिट्टी में इसका उत्पादन थोड़ा ज्यादा होता है. गर्मियों के मौसम में जब तापमान बढ़ जाता है, तो हर दो दिन में सिंचाई करनी पड़ती है, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे और पौधा मुरझाए नहीं.

खेती की जानें प्रक्रिया

खेती की प्रक्रिया की शुरुआत खेत की जुताई से होती है. पहले खेत को अच्छी तरह से 2-3 बार जोता जाता है, फिर समतल कर उसमें गोबर या जैविक खाद मिलाया जाता है. इसके बाद पाटा चलाकर खेत को और समतल कर लिया जाता है. तभी पिपरमेंट के स्टॉलन यानी जड़ों के टुकड़ों से रोपाई की जाती है, जो धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाते हैं.

इतना होगा फायदा

बात करें आमदनी की तो एक बीघे की खेती से करीब 40 से 50 किलो पिपरमेंट तेल निकल आता है. बाजार में इस तेल की कीमत एक हजार से डेढ़ हजार रुपये प्रति लीटर तक होती है. एक लीटर तेल निकालने में करीब 500 रुपये की लागत आती है. ऐसे में किसान को प्रति बीघा 20 से 50 हजार रुपये तक का मुनाफा आराम से हो सकता है. अगर मौसम साथ दे और सिंचाई में कोई दिक्कत न आए, तो यह फसल किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है.

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