एक बीड़ी की कीमत मौत? चलती ट्रेन में पुलिस की पिटाई से थम गई मजदूर की सांसे, बेटे को भी मिली धमकी
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एक बीड़ी की कीमत मौत? चलती ट्रेन में पुलिस की पिटाई से थम गई मजदूर की सांसे, बेटे को भी मिली धमकी


Tikamgarh News: टीकमगढ़ के रामदयाल अहिरवार की गोंडवाना एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान संदिग्ध हालात में मौत हो गई. बेटे ने जीआरपी जवान पर मारपीट का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की है.

 

ट्रेन में पुलिस की पिटाई से मौत?
ट्रेन में पुलिस की पिटाई से मौत?

MP Train News: रामदयाल अहिरवार, ललितपुर से दिल्ली की तरफ जा रहे थे, लेकिन रास्ते में कुछ ऐसा हुआ जिसने बेटे को बेसहारा और परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया. एक तरफ जीआरपी जवान का दावा है कि बस बीड़ी पीने से रोका और हल्का थप्पड़ मारा, दूसरी तरफ बेटे का आरोप है कि पिता के साथ बर्बरता हुई और वहीं उनकी मौत की वजह बनी. अब सवाल ये है कि गोंडवाना एक्सप्रेस में हुई इस मौत का सच क्या है?

घटना 22 अप्रैल की रात की है, जब रामदयाल अहिरवार (60) अपने बेटे विशाल के साथ गोंडवाना एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे. ट्रेन में सफर करते हुए, रामदयाल ने रात के करीब ढाई बजे वॉशरूम जाने के बाद बीड़ी पीने के लिए ट्रेन के दरवाजे पर खड़े हो गए. इसी दौरान ट्रेन के स्लीपर कोच में तैनात जीआरपी जवान आजाद ने उन्हें पकड़ लिया. बाद में, जब रामदयाल अपनी सीट पर लौटे, तो उनकी तबीयत बिगड़ चुकी थी और वो गिर पड़े.

'मारपीट से हुई पिता की मौत'
विशाल ने तुरंत मथुरा स्टेशन पर पिता को उतारा और अस्पताल लेकर दौड़ा. वहां डॉक्टरों ने रामदयाल को मृत घोषित कर दिया. विशाल का कहना है कि उसके पिता की मौत जीआरपी जवान की मारपीट से हुई है. लेकिन जवान आजाद का कहना है कि उसने सिर्फ बीड़ी पीने से मना किया था और बहस के दौरान एक थप्पड़ मारा था. जवान के इस बयान से बेटे को कोई तसल्ली नहीं मिली, क्योंकि उसका दावा है कि जब पिता लौटे तो बेहद घबराए हुए थे और उन्होंने कहा था कि उन्हें बुरी तरह मारा गया.

बहलाने की कोशिश की गई
बेटे ने यह भी आरोप लगाया कि मथुरा जीआरपी थाने में उसे एफआईआर दर्ज न कराने के लिए धमकाया गया और बहलाने की कोशिश की गई. विशाल का कहना है कि थाने में उसकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया. मजबूरी में पोस्टमॉर्टम कराकर वह पिता का शव गांव लेकर लौट आया. बुधवार को पूरे गांव की मौजूदगी में रामदयाल का अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन परिवार के मन में अब भी सवाल हैं, क्या वाकई सिर्फ एक थप्पड़ से किसी की जान जा सकती है?

न्याय के लिए लड़ाई लड़ेंगे
रामदयाल अपने परिवार के अकेले कमाने वाले थे. तीन साल पहले पत्नी की मौत के बाद परिवार पूरी तरह से उनके ऊपर निर्भर था. अब उनके निधन के बाद दो छोटे बेटे और बुज़ुर्ग माता-पिता बचे हैं, जिनका सहारा अब विशाल को बनना है. बेटे विशाल का कहना है कि वह अपने पिता की मौत के कारणों की सच्चाई सामने लाने के लिए न्याय की लड़ाई लड़ेंगे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे.

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