जनजातीय वोटों की राजनीति! बिरसा मुंडा के बाद अब सीएम को याद आए टंट्या मामा, कमलनाथ ने बुलाई बैठक
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जनजातीय वोटों की राजनीति! बिरसा मुंडा के बाद अब सीएम को याद आए टंट्या मामा, कमलनाथ ने बुलाई बैठक

टंट्या भील की वीरता को देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें 'इंडियन रॉबिन हुड' नाम दिया था.

फाइल फोटो.

आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी माने जाने वाले आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस, दोनों ही पार्टियां जोर लगा रही हैं. बता दें कि बीती 15 नवंबर को भाजपा ने राजधानी भोपाल में बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर मेगा इवेंट कर बढ़त बनाने की कोशिश की है. हालांकि कांग्रेस भी अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है. 

सीएम जाएंगे पातालपानी
वहीं 15 नवंबर को भोपाल में हुए मेगा इवेंट के बाद बने माहौल को बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंडला में आदिवासियों को लेकर नई योजनाओं का ऐलान कर सकते हैं. बता दें कि मंडला आदिवासी बहुल जिला है. मंडला के बाद सीएम शिवराज आगामी 4 दिसंबर को पातालपानी जाएंगे. पातालपानी आदिवासी नायक टंट्या भील की कर्मस्थली है. 

कौन थे टंट्या भील?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान टंट्या भील के बलिदान दिवस पर उन्हें नमन करेंगे. बता दें कि टंट्या भील आदिवासी समुदाय के एक महान स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं. टंट्या भील का जन्म 1840 के करीब मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था. उनकी वीरता को देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें 'इंडियन रॉबिन हुड' नाम दिया था. दरअसल वह अंग्रेजों को लूटकर गरीबों की मदद करते थे. आज भी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई घरों में टंट्या भील की पूजा की जाती है. महान स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे भी टंट्या भील की गुरिल्ला युद्ध नीति के कायल थे. 

टंट्या भील को लोग प्यार से टंट्या मामा भी बुलाते हैं. आखिरकार कुछ लोगों ने टंट्या भील को पकड़वाने में अंग्रेजों की मदद की. जिसके चलते टंट्या भील को अंग्रेजों ने पकड़ लिया और 4 दिसंबर 1889 को उन्हें फांसी दे दी. फांसी के बाद टंट्या मामा के शव को इंदौर के निकट खंडवा रेल मार्ग पर स्थित पातालपानी रेलवे स्टेशन के पास जाकर फेंक दिया गया था.  

कमलनाथ करेंगे अनुसूचित जनजातीय नेताओं की बैठक
आदिवासी मतदाताओं को अपने साथ जोड़े रखने के लिए कमलनाथ भी कमर कस रहे हैं. बता दें कि कमलनाथ ने आगामी 24 नवंबर को भोपाल में अनुसूचित जनजातीय पदाधिकारियों और विधायकों की बड़ी बैठक बुलाई है. इस बैठक के जरिए कांग्रेस आदिवासियों को लुभाने की कोशिश कर सकती है. उल्लेखनीय है कि इससे दो दिन पहले यानि कि 22 नवंबर को ही सीएम शिवराज सिंह चौहान जनजातीय गौरव दिवस का समापन करेंगे. 

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