MP में दम तोड़ चुका है लाल आतंक, बालाघाट में दो नक्सल समूह खत्म, 2026 तक पूरा खात्मा ?
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MP में दम तोड़ चुका है लाल आतंक, बालाघाट में दो नक्सल समूह खत्म, 2026 तक पूरा खात्मा ?

Naxalism in Balaghat: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सलवाद अब खत्म होने की कगार पर दिख रहा है, यहां सक्रिए दो नक्सल ग्रुपों का लगभग अंत हो गया है, जो बड़ी सफलता मानी जा रही है. 

मध्य प्रदेश की खबरें
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MP News: मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमाओं से सटा है, ऐसे में यह जिला एमपी का सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिला माना जाता है, लेकिन अब यहां नक्सलवाद दम तोड़ता दिख रहा है. क्योंकि बालाघाट जिले से ऐसी ही एक खबर सामने आई है,  जिस लाल आतंक ने पिछले तीन दशकों से बालाघाट जिले को अपनी चपेट में लिया था, वह अब धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर है. कभी यहां सबसे ज्यादा सक्रिए रहे दो नक्सल समूह अब खत्म हुए ही समझे जा रहे हैं, बालाघाट के साथ-साथ सीमावर्ती जिलों में भी नक्सल गतिविधियों में भारी कमी देखी जा रही है, खासकर बालाघाट और मंडला जिले की सीमा से लगे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में नक्सलियों की पकड़ कमजोर हुई है. जो मध्य प्रदेश के लिए अच्छी खबर मानी जा रही है, क्योंकि 2026 तक मध्य प्रदेश से भी नक्सलवाद खत्म करने की प्लानिंग है. 

बालाघाट में इन दो दलों का लगभग सफाया 

नक्सल विरोधी अभियानों के चलते अब नक्सली जंगलों में छिपने पर मजबूर हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश सरकार और सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई के कारण बालाघाट जो कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, वहां भी उनका प्रभाव तेजी से कम हो रहा है, पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि नक्सलियों को पूरी तरह खत्म करने के लिए सुरक्षा बल हर मोर्चे पर सतर्क हैं. वर्तमान में बालाघाट और मंडला की सीमा से लगे कान्हा क्षेत्र में तीन एरिया कमेटी में से अब सिर्फ भोरमदेव दलम सक्रिय है, लेकिन उनकी संख्या और गतिविधियां बहुत सीमित रह गई हैं, जबकि बोड़ला और खटिया-मोचा दलम का लगभग सफाया हो चुका है. एक समय नक्सलियों के यह दोनों दल बालाघाट जिले में सबसे ज्यादा सक्रिए माने जाते थे. 

अभी दो डिवीजन है सक्रिए 

बालाघाट एसपी नागेंद्र सिंह के मुताबिक एमएमसी जोन में दो डिवीजन सक्रिय हैं, जिनमें कान्हा भोरमदेव डिवीजन और जीआरबी डिवीजन शामिल है. पहले कान्हा भोरमदेव डिवीजन में तीन अलग-अलग दलम काम कर रहे थे, विस्तार प्लाटून, खटिया मोचा दलम और बोडला एरिया कमेटी, लेकिन अब पुलिस की निरंतर कार्रवाई के चलते सिर्फ एक संयुक्त टीम ही बची है, जो कभी खुद को खटिया मोचा दलम बताती है, तो कभी भोरमदेव कमेटी, लेकिन यह भी अब बहुत कम बचे हैं. 

बालाघाट में मारे गए थे चार नक्सली 

बालाघाट एसपी ने बताया हाल ही में पुलिस ने कान्हा भोरमदेव डिवीजन की चार महिला नक्सलियों को मार गिराया था, इसके अलावा, कई नक्सली संगठन छोड़कर भाग रहे हैं, जिससे उनकी ताकत लगातार घट रही है, स्थानीय लोग भी मुख्यधारा में लौटने के इच्छुक हैं, जिससे नक्सलियों का प्रभाव और कमजोर हो रहा है. जीआरबी डिवीजन में मलाजखंड दलम और दर्रेकसा दलम सक्रिय हैं, जबकि पहले सक्रिय दाड़ा दलम की संख्या घटकर सीमित हो गई है. 

बालाघाट में छिपने आते थे नक्सली 

दरअसल, बालाघाट घने जंगलों से घिरा हुआ इलाका है, जिसे नक्सलियों के लिए शरणस्थली माना जाता था, क्योंकि जब भी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में नक्सलियों पर एक्शन लिया जाता था, तो नक्सली भागकर जंगल के रास्ते बालाघाट जिले की सीमाओं में घुस आते थे. इसके अलावा किसी भी बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद भी नक्सली घने जंगलों में छिप जाते थे. यहां वह लगातार ग्रामीणों को डरा धमाकर रखते थे, जिससे कोई कुछ कह नहीं पाता था. कई बार मुखबिरी के शक में नक्सलियों ने ग्रामीणों को मार भी दिया. लेकिन अब छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पुलिस एक साथ एक्शन ले रही है, जिससे नक्सलवाद यहां तम तोड़ता दिख रहा है. 

2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का प्लान 

बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ से 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का प्लान बनाया है, जिस पर तेजी से काम हो रहा है. इस प्लान में मध्य प्रदेश भी शामिल है, जहां 2026 तक एमपी से भी नक्सलवाद को खत्म करने की प्लानिंग है. खास बात यह है कि बालाघाट, मंडला और डिंडोरी तीन ही जिले एमपी में नक्सल प्रभावित माने जाते हैं. जिसमें सबसे ज्यादा बालाघाट जिले की तीन इलाके बैहर, लांजी और परसवाड़ा शामिल हैं, लेकिन अब यहां नए पुलिस कैंपों की स्थापना के कारण भी नक्सलियों का दायरा सिकुड़ रहा है, अगर सुरक्षा बलों की यह सक्रियता बनी रही, तो 2026 तक मध्य प्रदेश पूरी तरह नक्सल मुक्त हो सकता है. 

बालाघाट से आशीष श्रीवास की रिपोर्ट 

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