सोमेश्वर मंदिर का ताला खुलवाने पर अड़ीं उमा भारती, बोलीं- कपाट खुलने तक नहीं ग्रहण करूंगी अन्न
Advertisement

सोमेश्वर मंदिर का ताला खुलवाने पर अड़ीं उमा भारती, बोलीं- कपाट खुलने तक नहीं ग्रहण करूंगी अन्न

उमा भारती ने रायसेन किले पर स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना करने की घोषणा के बाद भी पुरातत्व विभाग ने मंदिर में ताला नही खोला. उमा भारती ने बाहर से ही जल चढ़ाकर घोषणा की है कि मंदिर का ताला नही खुलने तक अन्न ग्रहण नहीं करेगीं.

सोमेश्वर मंदिर का ताला खुलवाने पर अड़ीं उमा भारती, बोलीं- कपाट खुलने तक नहीं ग्रहण करूंगी अन्न

राज किशोर सोनिक/रायसेन: सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती रायसेन में भगवान शिव के सोमेश्वर धाम मंदिर पहुंची. उमा ने पिछले दिनों मंदिर के ताले खोलकर अभिषेक करने का संकल्प लिया था, हालांकि प्रशासन की सख्ती और नियमों के चलते पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का यह संकल्प पूरा ना हो सका. अब उमा भारती ने कहा कि जब तक मंदिर का ताला नहीं खुलता तब तक के लिए वह व्रत रखेंगी, वो मंदिर का ताला नही खुलने तक अन्न ग्रहण नहीं करेगीं.

उपवास का अर्थ दबाव बनाना नहीं
उमा भारती ने कहा कि सुरक्षा के कारणों से अभी पुरातत्व विभाग ताला लगाए हुए है. यहां विवाद की कोई बात नहीं है. मैने राज्य पुरातत्व विभाग से केंद्रीय विभाग से संपर्क करने का अनुराध किया है. उनका कहना है कि वे अन्न का त्याग सिर्फ भावना व श्रद्धा से कर रही हैं. इसका अर्थ राज्य व केंद्र सरकार पर दबाव बनाना नहीं माना जाए. प्रक्रिया के तहत जब ताला खुलेगा तब वे आकर मंदिर के टिक्कड़ बनवाकर भगवान का भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगे.

जिला प्रशासन को नहीं है ताला खोलने का अधिकार
उमा भारती ने मंदिर के दरवाजे पर ही जल चढ़ाकर वहां से रवाना हो गईं. उनके मंदिर में जलाभिषेक की घोषणा के बाद सोमवार को पूरे इलाके को छावनी में बदल दिया गया था. प्रशासन का कहना है कि वो शिव मंदिर के गर्भगृह को खोलने का निर्णय नहीं ले सकते. केंद्रीय पुरातत्व विभाग अनुमति देता है तो जिला प्रशासन मंदिर का ताला खोल देगा. रायसेन के कलेक्टर ने इस संबंध में उमा भारती को अवगत करा दिया है.

क्या ऐलान किया था उमा भारती ने
बता दें उमा भारती ने रायसेन के शिव मंदिर में जलाभिषेक का किया किया था. इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि 11 अप्रैल को गंगोत्री से लाए हुए गंगाजल से रायसेन के सोमेश्वर धाम में गंगाजल चढ़ाऊंगी. राजा पूरणमल, उनकी पत्नी रत्नावली, दोनों बेटे व बेटी और सैनिकों का तर्पण करूंगी. अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी.

क्या है मंदिर का इतिहास
रायसेन का ये मंदिर 11 वीं सदी में परमार शासन के दौरान बना था. बाद में अफगान शासक शेरशाह सूरी ने इसे मस्जिद का स्वरूप दे दिया था. आजादी के बाद यहा मंदिर को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ. 1974 में तत्कालीन सरकार ने मंदिर की मूर्तियों को स्थापित कराया. उसके बाद से हर शिवरात्रि के मौके पर 12 घंटे के लिए मन्दिर पूजा के लिए खोला जाने लगा.

WATCH LIVE TV

Trending news