ऐसे पूरा होगा टारगेट! MP में मृतकों को लगा दी वैक्सीन, सर्टिफिकेट भी कर दिए जारी
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ऐसे पूरा होगा टारगेट! MP में मृतकों को लगा दी वैक्सीन, सर्टिफिकेट भी कर दिए जारी

फर्जी सर्टिफिकेट के मामले उज्जैन जिले में लगातार बढ़ते ही जा रहे है. जिले में अब तक सामने आये 3 मामलों में 2 की और रविवार को बढ़ोतरी हो गई. 

वैक्सीन सर्टिफिकेट दिए

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: प्रदेश भर में कोविड टीकाकरण को लेकर कई तरह के अभियान शासन स्तर पर चलाये जा रहे है. लोगों को टीकाकरण के लिए तरह तरह के नियम लागू कर जागरूक किया जा रहा है. लेकिन फर्जी सर्टिफिकेट के मामले उज्जैन जिले में लगातार बढ़ते ही जा रहे है. जिले में अब तक सामने आये 3 मामलों में 2 की और रविवार को बढ़ोतरी हो गई. दरअसल विगत दिनों तीन मामलों के बाद अब जो दो नए मामले सामने आये है. उसमें एक ही परिवार के दंपत्ति हैं. 

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बेटे ने बताया की पिता की मृत्यु 28 अप्रैल को हुई. उन्हें 8 अप्रैल को 1st डोज लगा था, मां को भी 8 अप्रैल को पहला डोज लगाया गया. जिसके बाद मां बीमार रहने लगी तो डॉक्टर ने सेकंड डोज लगाने से मना किया. बावजूद उसके पिता और मां का फाइनल डोज सर्टिफिकेट हमें नवंबर में मिला जो हैरान करने वाला है. पिता का सर्टिफिकेट जैसे ही मिला मन बहुत दुखी हुआ. सरकार को इस फर्जीवाड़े पर संज्ञान लेना चाहिए जिससे किसी की भावनाएं आहत नहीं हो.

जिसने नहीं लगाया उसे सर्टिफिकेट क्यों?
ताजा मामला रविवार को सामने आया है. शहर के वेद नगर स्थित आशिति अपार्टमेंट में रहने वाले शमी परिवार के बेटे अमित शमी ने बताया कि घर पर मोबाइल में मां शिला शमी 70 वर्ष और पिता राज मोहन शमी 72 वर्ष के नाम से फाइनल डोज वैक्सीन सर्टिफिकेट एक दिन के अंतराल में मैसेज के माध्यम से मिला तो हम हैरान रह गए. चूंकि मां और पिता को 8 अप्रैल को सिर्फ पहला डोज ही लगा है. जिसके बाद 28 अप्रैल को पिता की मृत्यु हो गई व मां बीमार रहने लगी तो डॉक्टर ने दूसरा डोज ठीक नहीं होने तक लगाने को मना किया लेकिन 11 नवंबर को फाइनल वैक्सीनेटेड का सर्टिफिकेट मिल गया. जिसके एक दिन बाद 13 नवंबर को पिता का फाइनल वैक्सीनेटेड सर्टिफिकेट मिला. जब पिता का सर्टिफिकेट आया तो वो ज्यादा चौंकाने वाला लगा. सरकार भावनाएं आहत कर रही है, फर्जी वादे पर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए.

जानिए फर्जी सर्टिफिकेट के मामले
पहला मामला

24 नवंबर को जिले की खाचरोद तहसील से सामने आया. जहां 60 वर्षिय बुजुर्ग किराना व्यापारी को दोनों डोज लगवाने के सर्टिफिकेट नहीं मिले लेकिन मृत पिता जिन्होंने दोनों डोज लगवाए ही नहीं उन्हें उनके नाम से फाइनल सर्टिफिकेट मिल गया. सर्टिफिकेट में उम्र भी 26 वर्ष बताई गई जबकि वे 93 वर्ष की उम्र में वर्ष 2018 में मृत्यु को प्राप्त हुए थे. इस मामले में CMHO ने कहा कि टेलीफोन नंबर की गड़बड़ी से हुआ होगा, त्रुटियों को सुधरवा देंगे. कोई बड़ा परसेंटेज नहीं है. 

दूसरा मामला
66 वर्षीय रिटायर्ड रेल कर्मचारी जिनकी मृत्यु 19 नवंबर को हुई और 25 नवंबर को फाइनल वैक्सीन सर्टिफिकेट जारी किया गया. 66 वर्षिय रेल कर्मचारी नरेन्द्र सिंह रावत टीसी थे. जिनके बेटे चन्दपाल ने जानकारी दी कि पिता को पहला डोज 7 अप्रैल को लगा था. वे बीमार रहने लगे तो दूसरा डोज लगाने से डॉक्टर ने मना किया. टीकाकरण टीम को पता होने के बावजूद इस बीच टीम टीका लगाने आई लेकिन बिना लगाये वापस लौटी क्योंकि पिता बीमार थे. अब पिता की म्रत्यु के बाद दूसरा डोज लगवाने का सर्टिफिकेट मिला है जो हैरान करने वाला है.

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तीसरा मामला
फ्रीगंज क्षेत्र स्थित ट्रेड स्क्वायर में रहने वाली 59 वर्षिय महिला जो कि बीमार है. उनका नाम चंदा भम्भानि है. चंदा के बेटे सन्नी ने जानकरी देते हुए बताया कि पहला डोज 8 जुलाई को लगा. जिसके बाद 25 नवंबर को दूसरे डोज के लिए टीम आई लेकिन बीमार मां को ऑक्सिजन कॉन्सेंटटर पर देख कर बिना टीका लगाए वापस लौट गई. 1 दिन बाद 27 नवंबर को फाइनल डोज का सर्टिफिकेट मिला.  सन्नी ने लापरवाही को लेकर शिकायत दर्ज करवाने की बात कही है.

कलेक्टर ने जवाब मांगा था
आपको बता दें कि तीनों मामलों को जिला कलेक्टर ने भी स्वीकारा था और वैरिफायर तरुण चावड़ा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. जिसका जवाब अब तक सामने नहीं आया है. अब देखना ये होगा टीकाकरण वाले अपनी गलती में कब सुधार करेंगे या ये मामले बढ़ते भी जाएंगे.

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