madhya pradesh news-भारत में चुनाव आते ही त्योहार जैसा माहोल हो जाता है. चुनाव में सत्ता पक्ष पर कुर्सी बचाने का दवाब होता है तो वहीं विपक्ष को सत्ता में आने का. भारत में चुनावी प्रक्रिया और मतगणना में कई तरह के बदलाव किए गए हैं. पहले जहां चुनाव वैलेट पेपर से होते थे तो वहीं अब ईवीएम से होते हैं. हालांक ईवीएम को लेकर कई तरह के सवाल-जबाव किए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव के बाद ईवीएम मशीन का क्या होता है और इन्हे कहां रखा जाता है. 


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बैलेट पेपर से होता था मतदान
पहले चुनावों में बैलेट पेपर से  मतदान किया जाता था, जिससे कई टन कागज का इस्तेमाल किया जाता था. बैलेट पेपर में कागज़ के टुकड़े पर पार्टी को समर्थन देकर उसे बॉक्स में डाला जाता था. लेकिन इस प्रक्रिया में कई बार फ्रॉड हो जाता था, फर्जी वोटिंग की शिकायतें लगातार बैलेट पेपर की प्रक्रिया में शिकायत मिलती हैं. लेकिन अब वहीं अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के केवल एक बटन दबाकर मतदान करवाया जाता है. चुनाव में फ्रॉड से बचने के लिए इस टैकनिक का इस्तेमाल किया जाने लगा. 



भारत में कब आई ईवीएम
दरअसल भारत में 1990 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) आई थी और इसका चुनाव में सफल प्रयोग किया गया था.  90 के दशक में एक मशीन में करीब दो हजार वोट दिए गए थे. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक 1400 वोट ही एक मशीन में दिए जा सकते हैं.  चुनाव में मतदान के बाद ईवीएम मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखावा दिया जाता है. ईवीएम मशीन की कड़ी सुरक्षा की जाती है. ईवीएम मशीन की कड़ी सुरक्षा में वहां दूसरी इलेक्ट्रॉनिक मशीन नहीं रखी जाती हैं.  बहरहाल तक तक बल्ब भी नहीं लगाए जाते हैं.



कहां रखी जाती है ईवीएम  
चुनाव के बाद मतगणना जब पूरी होने के बाद ईवीएम मशीनों को 45 दिनों के लिए स्ट्रांग रुम में रखा जाता हैं. चुनाव के बाद किसी चुनावी पार्टी को दुबारा से काउंटिंग करवानी होगी तो उसके पास 45 दिनों का समय होता है. जब 45 दिन गुजर जाते हैं तो  ईवीएम  मशीन को स्टोरेज रुम में रख दिया जाता है. स्टोरेज रूम में रखे जाने से पहले सारी पार्टी में से एक पार्टी का प्रतिनिधि स्टोरेज रुम में मौजूद होता है. जब दुबारा से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होता हैं तो स्टोरेज रुम से ईवीएम मशीनों को फिर से निकाला लिया जाता हैं. और चुनाव के लिए भेज दिया जाता है.